बैंक कर्मचारी ने खाते से उड़ाए 12 करोड़ रुपये, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदलकर किया खेल
भाईसाहब, साइबर फ्रॉड तो आपने सुना ही होगा, लेकिन ये जो मामला है, वो एकदम हैरान कर देने वाला है। सोचिए, यहां तो बैंक वाले ही फ्रॉड कर गए। जी हां, ये किस्सा है बेंगलुरु का, जहां एक्सिस बैंक के एक रिलेशनशिप मैनेजर और उसके तीन साथियों ने मिलकर 12 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
बात ये हुई कि एक कंपनी है, ड्रीमप्लग पेटेक सलूशन्स प्राइवेट लिमिटेड। इस कंपनी का खाता एक्सिस बैंक में है। कंपनी के अधिकारियों ने देखा कि खाते से संदिग्ध तरीके से पैसे ट्रांसफर हो रहे हैं। मामला बड़ा लग रहा था, तो पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने जांच की, और जो सामने आया, वो चौकाने वाला था।
क्या-क्या किया इन लोगों ने?!["Fraudulent transaction details showing 12 crore transfer from bank account, cyber fraud investigation in progress"](https://abtnews24.com/wp-content/uploads/2024/12/Bank-Employee-Fraud.jpg)
इन लोगों ने सबसे पहले कंपनी के खाते से जुड़े रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी बदल दिए। ये काम फर्जी दस्तावेज बनाकर और बैंक में धोखाधड़ी से अप्रूवल लेकर किया गया। ये सब इतनी सफाई से हुआ कि बैंक को भी शक नहीं हुआ।
फिर, इन बदले हुए डिटेल्स की मदद से उन्होंने 37 बार ट्रांजैक्शन किया और कुल 12.2 करोड़ रुपये निकाल लिए। ये सारा खेल 29 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच हुआ।
कौन-कौन शामिल है?!["Police investigation into Axis Bank fraud involving 12 crore transfer, suspects identified in cyber fraud case"](https://abtnews24.com/wp-content/uploads/2024/12/बैंक-खाते-से-फ्रॉड.jpg)
अब ये जान लीजिए कि इस पूरी प्लानिंग में कौन-कौन शामिल था:
- वैभव पिथादिया: एक्सिस बैंक का रिलेशनशिप मैनेजर
- नेहा बेन विपलभाई: बैंकिंग एजेंट
- शैलेश: वैभव का साथी और इंश्योरेंस एजेंट
- शुभम: कमीशन एजेंट
इन सबका नाम कंपनी के एक अधिकारी नरसिम्हा वसंत शास्त्री की शिकायत के बाद सामने आया।
कैसे हुआ खुलासा?
ड्रीमप्लग के अधिकारियों ने 12 नवंबर को देखा कि खाते से कुछ अजीब ट्रांजैक्शन हो रहे हैं। फिर उन्होंने बैंक के साथ-साथ पुलिस में भी शिकायत की। जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला कि एक्सिस बैंक के रिकॉर्ड्स में गड़बड़ी की गई थी।
बैंक के दो खातों में 12 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे। असल में, इन खातों में चार यूजर आईडी बनाई गई थीं, लेकिन इनमें से सिर्फ दो एक्टिव थीं।
पुलिस क्या कर रही है?
पुलिस अब ये पता लगाने में जुटी है कि आखिर बैंक की वेरिफिकेशन प्रक्रिया में चूक कहां हुई। आरोपियों ने बड़ी सफाई से सब कुछ किया, लेकिन फिर भी पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। अब कोशिश हो रही है कि ठगे गए पैसों को वापस लाया जाए।
बस, ऐसे ही एक और बड़ा साइबर फ्रॉड का मामला सामने आ गया। अब देखना ये है कि इस पर आगे क्या कार्रवाई होती है।
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