चीन की DeepSeek AI ने अपने एआई मॉडल DeepSeek R1 के लॉन्च के बाद पूरी टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। यह स्टार्टअप कम लागत में ओपन-सोर्स एआई देने का दावा कर रहा है, जिससे बड़े टेक दिग्गजों Microsoft, Google, Meta, Nvidia और OpenAI तक की नींव हिल गई है।
आज की दुनिया में डेटा ही सबसे बड़ी ताकत बन चुका है। हर देश, हर सरकार, हर टेक्नोलॉजी कंपनी डेटा इकट्ठा कर रही है और उसे एआई के जरिए प्रोसेस कर रही है। डेटा ही नई दुनिया का ईंधन (Fuel) बन चुका है, और इस ईंधन पर कब्जे की जंग अब तेज हो गई है। लेकिन अब इस मॉडल की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
टेस्ला और एक्स (Twitter) के मालिक एलन मस्क ने DeepSeek के दावों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि इस एआई मॉडल में इस्तेमाल की गई तकनीक को लेकर गंभीर अनियमितताएँ हो सकती हैं। एआई कम्युनिटी में भी DeepSeek के द्वारा बताए गए कम लागत और हार्डवेयर उपयोग को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।
चीन की DeepSeek AI कंपनी का दावा है कि उसने सिर्फ दो महीने में कम लागत पर ओपन-सोर्स एआई मॉडल विकसित किया है। लेकिन सवाल यह है कि DeepSeek ने इस एआई को बनाने के लिए डेटा कहां से लिया? एलन मस्क और टेक इंडस्ट्री के बड़े नाम कह रहे हैं कि इस एआई मॉडल को बनाने में कुछ अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल किया गया हो सकता है।
“डीपसीक” की शुरुआत कैसे हुई?
“डीपसीक” को चीन के कुछ अग्रणी टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों और एआई रिसर्चरों द्वारा स्थापित किया गया। इसकी स्थापना 2023 में हुई, जब एआई टेक्नोलॉजी की दुनिया में कई नई संभावनाएं सामने आईं। इस कंपनी ने अपने रिसर्च और डेवलपमेंट पर काफी जोर दिया और एक अत्याधुनिक एआई प्रणाली बनाई, जो न केवल टेक्स्ट जनरेशन, बल्कि इमेज, वॉयस, और वीडियो आधारित एआई टूल्स भी प्रदान करती है।
डीपसीक के संस्थापकों ने एआई के विभिन्न क्षेत्रों में गहरी विशेषज्ञता प्राप्त की और उन्होंने इस परियोजना को वैश्विक स्तर पर लाने का उद्देश्य रखा। उनके लक्ष्य में सबसे बड़ा उद्देश था कि एक ऐसा एआई सिस्टम तैयार किया जाए, जो OpenAI के ChatGPT और Google के BERT जैसे चैटबॉट्स से मुकाबला कर सके। इसके साथ ही, यह स्टार्ट-अप ऐसे समाधान देना चाहता था जो व्यापारिक उपयोग, ग्राहक सेवा, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से काम आ सके।
DeepSeek AI का दावा: मात्र 2 महीने और 6 मिलियन डॉलर में बना एआई मॉडल
DeepSeek ने दावा किया है कि उसका एआई मॉडल सिर्फ दो महीने में तैयार किया गया और इसके निर्माण में कुल 6 मिलियन डॉलर (लगभग 50 करोड़ रुपये) से कम की लागत आई। इसके साथ ही, DeepSeek का कहना है कि उसने Nvidia के कम पावरफुल GPU H800 का उपयोग किया, न कि OpenAI जैसे बड़े संस्थानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हाई-एंड जीपीयू।
लेकिन, एआई विशेषज्ञों और विश्लेषकों को DeepSeek के इस दावे पर भरोसा नहीं हो रहा है। टेक इंडस्ट्री में OpenAI के GPT मॉडल जैसे बड़े एआई सिस्टम को विकसित करने में हजारों GPU और अरबों डॉलर की लागत लगती है। ऐसे में DeepSeek के 6 मिलियन डॉलर के दावे को लेकर शक गहराता जा रहा है।
लेकिन इस विवाद के पीछे सिर्फ तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि जियो-पॉलिटिक्स (Geo-Politics) का बड़ा खेल भी छिपा हुआ है। चीन और अमेरिका के बीच एआई वर्चस्व की जंग में DeepSeek AI एक अहम मोहरा बन सकता है, जो वैश्विक स्तर पर तकनीकी शक्ति संतुलन को बदल सकता है।
एलन मस्क का आरोप: Nvidia की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया?
एलन मस्क ने एक्स (Twitter) पर पोस्ट करते हुए DeepSeek के जीपीयू इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि:
“DeepSeek ने संभवतः 50,000 Nvidia Hopper GPU का उपयोग किया है, जबकि उसने दावा किया था कि उसने केवल 10,000 A100S GPU का इस्तेमाल किया।”
इस दावे का समर्थन Scale AI के सीईओ अलेक्जेंडर वांग ने भी किया है। वांग ने कहा कि DeepSeek का मॉडल निश्चित रूप से Nvidia के H100 GPU तकनीक पर आधारित है। लेकिन अगर ऐसा है, तो DeepSeek का कम लागत वाला दावा गुमराह करने वाला साबित हो सकता है।
कम लागत पर भी उठ रहे सवाल
सीएनबीसी से बातचीत में बर्नस्टीन के एनालिस्ट स्टेसी रासगन ने भी DeepSeek के दावे को अविश्वसनीय बताया। उन्होंने कहा कि 5 मिलियन डॉलर से कम में कोई भी बड़े स्तर का ओपन-सोर्स एआई मॉडल नहीं बना सकता।
रासगन का कहना है कि:
“DeepSeek के पास एक अच्छा मॉडल है, लेकिन यह कोई जादू नहीं है। कई एआई लैब इस तरह के मॉडल बना रही हैं, और इतने कम बजट में इसे विकसित करना लगभग असंभव है।”
DeepSeek AI और चीन की Jio-Politics: अमेरिका को क्यों है डर?
DeepSeek AI के कम लागत वाले एआई मॉडल ने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की तकनीकी रणनीति को झकझोर दिया है। चीन इस समय जियो-पॉलिटिकल स्तर पर एआई को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है, जिससे अमेरिका और यूरोप को कड़ी चुनौती मिल सकती है।
1. चीन की एआई रणनीति: सस्ता एआई और डेटा वर्चस्व
- चीन सरकार का लक्ष्य एआई तकनीक में विश्व लीडर बनना है।
- DeepSeek जैसे स्टार्टअप्स को सरकार का समर्थन मिल सकता है, जिससे वे कम लागत में उन्नत एआई विकसित कर सकते हैं।
- कम कीमत में ओपन-सोर्स एआई देकर चीन दुनिया भर के डेवेलपर्स और स्टार्टअप्स को आकर्षित कर सकता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों का प्रभुत्व कमजोर होगा।
2. अमेरिका की चिंता: तकनीकी वर्चस्व की लड़ाई
- अमेरिका को डर है कि चीन की तेजी से बढ़ती एआई कंपनियां OpenAI, Google और Microsoft जैसी अमेरिकी कंपनियों को कमजोर कर सकती हैं।
- यदि चीन सस्ते और पावरफुल एआई मॉडल बनाकर बाजार में उतारता है, तो वह ग्लोबल टेक इंडस्ट्री पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है।
- अमेरिकी सरकार ने पहले ही चीन पर चिप प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे वह Nvidia के H100 और A100 जैसे जीपीयू का उपयोग न कर सके।
3. Nvidia और अमेरिका की रणनीति: टेक्नोलॉजी को चीन से दूर रखना
- एलन मस्क और अन्य टेक लीडर्स के आरोपों का मतलब सिर्फ DeepSeek की आलोचना करना नहीं है, बल्कि अमेरिका की टेक सुरक्षा नीति को मजबूत करना भी है।
- अमेरिका नहीं चाहता कि चीन के स्टार्टअप्स एडवांस्ड Nvidia जीपीयू का उपयोग करके एआई विकसित करें।
DeepSeek AI पर लगे आरोप यह संकेत देते हैं कि चीन प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका की टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है।
“डीपसीक” का प्रभाव और निवेशकों की प्रतिक्रिया
डीपसीक की नई एआई प्रणाली के आने के बाद, चीन और अन्य देशों के निवेशक इस स्टार्ट-अप की ओर आकर्षित हो गए हैं। इससे न केवल चीनी एआई उद्योग को बढ़ावा मिला, बल्कि यह अमेरिकी कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी बन गई। एनवीडिया जैसी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट आ गई, क्योंकि उनकी चिप्स अब दूसरे एआई स्टार्ट-अप्स द्वारा भी इस्तेमाल होने लगीं, जिनमें डीपसीक भी शामिल है।
अमेरिकी निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों के लिए यह एक संकेत था कि एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अब पहले से कहीं ज्यादा तेज हो गई है।
चीन ने जीती AI की रेस: क्या है AI Geopolitics?
“डीपसीक” की सफलता और इसके तेज विकास ने चीन को एआई टेक्नोलॉजी में एक प्रमुख स्थान पर ला खड़ा किया है। अमेरिकी कंपनियां और उनके निवेशक अब समझने लगे हैं कि चीन, जो पहले केवल एक कच्चे माल का निर्यातक माना जाता था, अब टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी अपनी धाक जमा रहा है।
चीन के AI क्षेत्र में इस सफलता के साथ, AI Geopolitics (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित वैश्विक राजनीति) भी नई दिशा में बदल रही है। जहां एक ओर अमेरिका और यूरोप के देश AI के विकास में एक दशक से अधिक समय से अग्रणी रहे हैं, वहीं अब चीन ने अपनी ताकत का एहसास करवा दिया है। चीन का यह कदम न केवल व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि यह पूरी दुनिया में तकनीकी शक्ति की पुनः परिभाषा भी कर रहा है।
चीन का यह एआई टूल न केवल अपनी वैश्विक पहुंच के कारण चर्चा का विषय बना है, बल्कि यह पूरी दुनिया में एआई की नई सोच और नीतियों को आकार दे सकता है। इसने न केवल तकनीकी विकास के संदर्भ में चीन के महत्व को बढ़ाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि एआई की शक्ति अब कोई एक देश विशेष नहीं, बल्कि वैश्विक खेल बन चुकी है।
चीन के इस विकास ने यह संकेत दिया है कि भविष्य में एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और भी बढ़ेगी, और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। AI Geopolitics अब केवल व्यापार और निवेश की रणनीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति और आर्थिक व्यवस्था को भी प्रभावित करने वाली शक्ति बन चुकी है।
चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म DeepSeek को लेकर विशेषज्ञों ने दी चेतावनी: डेटा सुरक्षा और भ्रांतियों के प्रसार पर चिंता
विशेषज्ञों ने चीन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म DeepSeek को अपनाने में जल्दबाजी को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी है। उनका कहना है कि यह प्लेटफॉर्म जानकारी की गलतियाँ फैला सकता है और चीन सरकार यूज़र्स का डेटा गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकती है।
सरकार ने कहा है कि इसका उपयोग नागरिकों का व्यक्तिगत चुनाव है, लेकिन अधिकारी किसी भी राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे की निगरानी कर रहे हैं और यदि कोई खतरा उत्पन्न हुआ, तो वे तुरंत कार्रवाई करेंगे। इस नए सस्ते AI प्लेटफॉर्म ने इस सप्ताह प्रमुख अमेरिकी टेक स्टॉक इंडेक्स से 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान कराया है और यह यूके और यूएस में सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाला फ्री ऐप बन गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने इसे टेक कंपनियों के लिए एक “जागृत कॉल” बताया।
Liang Wenfeng
DeepSeek के पीछे कौन है और इसने AI ‘Sputnik पल’ कैसे हासिल किया?
इसका उभार टेक वर्ल्ड को चौंका देने वाला है, क्योंकि यह प्लेटफॉर्म चैटGPT जैसे प्रसिद्ध प्लेटफॉर्म्स के मुकाबले बहुत कम लागत में समान प्रदर्शन दिखा सकता है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के AI के फाउंडेशंस के प्रोफेसर माइकल वूलड्रिज ने कहा कि यह मान लेना कोई असंगत बात नहीं है कि इस चैटबॉट में डाले गए डेटा को चीनी राज्य के साथ साझा किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह ठीक है कि आप इसे डाउनलोड करें और लिवरपूल फुटबॉल क्लब के प्रदर्शन के बारे में पूछें या रोमन साम्राज्य के इतिहास पर बात करें, लेकिन क्या मैं इसमें कुछ संवेदनशील, व्यक्तिगत या निजी जानकारी डालने की सिफारिश करूंगा? बिल्कुल नहीं… क्योंकि आप नहीं जानते कि डेटा कहां जाता है।”
संयुक्त राष्ट्र के AI पर उच्च-स्तरीय सलाहकार निकाय की सदस्य डेम वेंडी हॉल ने गार्डियन से कहा, “आप इस तथ्य से बच नहीं सकते कि यदि आप एक चीनी टेक कंपनी हैं जो जानकारी से निपट रही है, तो आप चीनी सरकार के नियमों के अधीन होते हैं, जो आप क्या कह सकते हैं और क्या नहीं कह सकते।
Jio-Politics और भारत: क्या भारत को DeepSeek से फायदा होगा?
चीन और अमेरिका की इस जंग में भारत भी एक अहम खिलाड़ी बन सकता है। भारत ने हाल ही में एआई और चिप इंडस्ट्री में निवेश बढ़ाया है, और अगर DeepSeek के ओपन-सोर्स मॉडल को भारत अपनाता है, तो यह भारतीय टेक इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- स्वदेशी एआई विकास को बढ़ावा:
- भारत स्वदेशी एआई सिस्टम विकसित करने की कोशिश कर रहा है और DeepSeek के मॉडल से उसे नई तकनीक सीखने को मिल सकती है।
- सस्ते और ओपन-सोर्स एआई से भारतीय स्टार्टअप्स और टेक कंपनियों को फायदा मिल सकता है।
- चीन पर निर्भरता या आत्मनिर्भरता?
- अगर DeepSeek AI की तकनीक सफल होती है, तो भारत को यह तय करना होगा कि क्या वह चीन की टेक्नोलॉजी पर निर्भर होगा या अपनी खुद की एआई रणनीति विकसित करेगा।
- भारत की डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) को बनाए रखने के लिए स्वदेशी एआई मॉडल पर ध्यान देना जरूरी है।
- अमेरिका और भारत की साझेदारी:
- अमेरिका भारत के साथ एआई और चिप निर्माण में सहयोग कर रहा है।
अगर भारत चीन के DeepSeek AI मॉडल को अपनाता है, तो यह अमेरिका के साथ उसके रणनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
DeepSeek AI और डेटा की चोरी का खतरा
आज दुनिया के सभी देश डेटा पर काम कर रहे हैं। डेटा ही अब सबसे बड़ी दौलत बन गया है। लेकिन सवाल उठता है कि अगर चीन DeepSeek जैसी कंपनियों के जरिए सस्ते एआई मॉडल बना रहा है, तो आखिर वह डेटा कहां से आ रहा है?
1. इंटरनेट पर मौजूद पब्लिक डेटा का इस्तेमाल
- चीन और अन्य देश इंटरनेट पर उपलब्ध डेटा को एआई ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
- वेबसाइट्स, सोशल मीडिया, गवर्नमेंट रिकॉर्ड—सभी को स्क्रैप करके डेटा निकाला जा रहा है।
- लेकिन यह डेटा कई बार बिना अनुमति के लिया जाता है, जो बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है।
2. निजी डेटा का गैर-कानूनी इस्तेमाल?
- कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि चीन की कंपनियां डेटा चोरी करके अपने एआई मॉडल विकसित कर रही हैं।
- अमेरिका और यूरोप पहले ही चीन के एआई और डेटा कलेक्शन पॉलिसी पर सवाल उठा चुके हैं।
- क्या DeepSeek का मॉडल भी इसी तरह से डेटा इकट्ठा करके तैयार किया गया है?
3. डेटा सुरक्षा का खतरा
- अगर सस्ता एआई तैयार हो जाता है और पूरी दुनिया इसे अपनाने लगती है, तो क्या इसका मतलब यह होगा कि ग्लोबल डेटा चीन के पास चला जाएगा?
- अगर कोई भी देश या कंपनी DeepSeek का ओपन-सोर्स मॉडल इस्तेमाल करती है, तो क्या उसका डेटा भी चीन के सर्वर तक पहुंच सकता है?
डेटा का भविष्य और विश्व राजनीति
आज अगर कोई भी देश या कंपनी एआई बना रही है, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि डेटा कहां जा रहा है?
अमेरिका: OpenAI, Google, और Microsoft दुनिया के सबसे बड़े एआई मॉडल बना रहे हैं। लेकिन वे अपने डेटा और एआई को निजी (Proprietary) रख रहे हैं।
चीन: DeepSeek और अन्य कंपनियां सस्ते एआई मॉडल बनाकर दुनिया को आकर्षित कर रही हैं। लेकिन इसका मतलब यह हो सकता है कि उनका डेटा चीन के पास पहुंच रहा है।
भारत और अन्य देश: भारत जैसे देश को यह तय करना होगा कि क्या वह विदेशी कंपनियों की टेक्नोलॉजी अपनाएगा या खुद का डेटा-सुरक्षित एआई मॉडल विकसित करेगा?
DeepSeek AI और Jio-Politics की जंग जारी है
DeepSeek AI सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं, बल्कि चीन और अमेरिका के बीच चल रही जियो-पॉलिटिकल टेक्नोलॉजी वॉर का हिस्सा है।
- चीन DeepSeek जैसे स्टार्टअप्स के जरिए एआई इंडस्ट्री में दबदबा बनाना चाहता है।
- अमेरिका को डर है कि इससे उसकी टेक कंपनियां कमजोर पड़ सकती हैं।
- भारत को तय करना होगा कि वह किस रणनीति को अपनाए—चीन की सस्ती एआई टेक्नोलॉजी या स्वदेशी एआई विकास।
एलन मस्क जैसे टेक लीडर्स DeepSeek पर सवाल उठाकर इस जंग को और तेज कर रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चीन DeepSeek AI को वैश्विक एआई इंडस्ट्री में स्थापित कर पाएगा, या अमेरिका इसे रोकने के लिए और कदम उठाएगा।