स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन: कानून तोड़ने पर 96 हजार रुपए जुर्माना, जानिए क्या है पूरा मामला आज से स्विट्जरलैंड में एक बड़ा बदलाव लागू हो गया है। अब पब्लिक प्लेस पर महिलाएं बुर्का, हिजाब, या किसी भी तरीके से अपना चेहरा पूरी तरह से ढक नहीं सकतीं। अगर कोई इस कानून को तोड़ता है, तो उस पर 1000 स्विस फ्रैंक यानी लगभग 96 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
ये कानून स्विट्जरलैंड में 2021 में हुए जनमत संग्रह का नतीजा है। उस वक्त 51.21% लोगों ने बुर्के पर बैन लगाने के पक्ष में वोट दिया था। हालांकि, इस फैसले को लेकर काफी बहस भी हुई।
क्यों हुआ बुर्का बैन?
स्विट्जरलैंड की दक्षिणपंथी पार्टी ‘स्विस पीपुल्स पार्टी’ (SVP) ने इस कानून का प्रस्ताव रखा था। उनका मानना था कि पब्लिक प्लेस पर चेहरा ढंकना सुरक्षा और स्विस संस्कृति के खिलाफ है। वहीं, इस कानून का विरोध करने वाले कहते हैं कि ये खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं को टारगेट करता है।
क्या सच में स्विट्जरलैंड में बुर्का आम था?
अगर आंकड़ों की बात करें, तो स्विट्जरलैंड में 2021 तक सिर्फ 30 महिलाएं ही नकाब पहनती थीं। पूरे देश की आबादी 86 लाख है, जिसमें से 5% लोग मुस्लिम हैं। ज्यादातर मुस्लिम लोग तुर्किये, बोस्निया और कोसोवो से हैं।
यूरोप के और कौन से देशों में है ये बैन?
स्विट्जरलैंड ऐसा करने वाला सातवां यूरोपीय देश है। इससे पहले फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, और बुल्गारिया ने भी बुर्का या नकाब पर बैन लगाया है।
बुर्का और नकाब में क्या है फर्क?
- बुर्का: बुर्का पूरे शरीर को ढंकने वाला घूंघट है। इसमें चेहरे पर जाली होती है, जिससे बाहर देखा जा सकता है। इसे ज्यादातर अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया की मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं।
- नकाब: नकाब सिर्फ चेहरे के निचले हिस्से को ढंकता है और आंखों को खुला रखता है। इसे यूरोप और खाड़ी देशों में ज्यादा पहना जाता है।
- हिजाब: हिजाब सिर, कान और गले को ढंकता है लेकिन चेहरा खुला रहता है।
कानून बनाने की कहानी
2022 में स्विट्जरलैंड की संसद ने इस बैन पर मुहर लगाई। संसद के निचले सदन में 151 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 29 ने विरोध में वोट दिया। इसके बाद इसे 2025 में लागू करने का फैसला लिया गया।
पहले भी हुए विवादास्पद कानून
यह पहली बार नहीं है जब स्विट्जरलैंड में इस्लाम से जुड़ी परंपराओं पर बैन लगाया गया हो। 2009 में जनमत संग्रह के जरिए मस्जिदों की मीनारें बनाने पर भी रोक लगाई गई थी।
क्या कहता है समाज?
इस बैन के सपोर्टर्स का कहना है कि ये कानून पब्लिक प्लेस पर सुरक्षा के लिए जरूरी है। वहीं, विरोधियों का कहना है कि ये मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है।
BHARAT INDIA में ऐसा हो सकता है?
भारत में बुर्का और हिजाब पहनने को लेकर कोई रोक नहीं है। हालांकि, कुछ जगहों पर स्कूल-कॉलेज में ड्रेस कोड को लेकर विवाद जरूर हुए हैं।
नतीजा क्या होगा?
स्विट्जरलैंड में आज से महिलाएं पब्लिक प्लेस जैसे दफ्तर, ट्रांसपोर्ट, रेस्टोरेंट, या दुकानों में चेहरा पूरी तरह से ढंक नहीं सकेंगी।
इस फैसले से साफ है कि यूरोप में धार्मिक परंपराओं और आधुनिकता के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सवाल ये है कि क्या सुरक्षा और संस्कृति के नाम पर पर्सनल फ्रीडम की बलि देना सही है? यह भी पढ़े : Weather Updatesदिल्ली-NCR में छाया घना कोहरा,4 से 6 जनवरी के बीच बारिश और बर्फबारी का अलर्ट उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में हल्की बारिश