क्या आप जानते हैं, बांग्लादेश में एक बड़ा विवाद चल रहा है? चिन्मय कृष्ण दास। उन पर आरोप लगा है कि उन्होंने बांग्लादेश के झंडे का अपमान किया और उसके ऊपर भगवा झंडा फहराया। इस वजह से सरकार ने उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अब उनके समर्थन में बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय में गुस्सा है, और भारत में भी इसे लेकर चिंता जताई जा रही है। लोग कह रहे हैं कि ये मामला सिर्फ राजनीति का हिस्सा है, ताकि उनकी आवाज दबाई जा सके।
चिन्मय पर देशद्रोह का मामला क्यों दर्ज हुआ?
25 अक्तूबर 2024 को बांग्लादेश के चटगांव स्थित न्यू मार्केट चौराहे पर हुए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप चिन्मय कृष्ण दास और 18 अन्य लोगों पर लगा। इस घटना को बांग्लादेश की संप्रभुता और राष्ट्रीय सम्मान के खिलाफ माना गया। इसके बाद 30 अक्टूबर को कोतवाली थाने में उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया।
चिन्मय दास ने कौन सा कानून तोड़ा?
- बांग्लादेश ध्वज नियम, 1972
यह कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर कोई अन्य झंडा नहीं फहराया जा सकता। 2010 में इस नियम में संशोधन किया गया, जिसके अनुसार ऐसा करने पर एक साल तक की कैद, 5,000 टका का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। - दंड संहिता की धारा 124 (ए)
- यह धारा देशद्रोह से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति मौखिक, लिखित, संकेतों या किसी अन्य माध्यम से सरकार के खिलाफ घृणा, अवमानना या असंतोष फैलाने का प्रयास करता है, तो उसे उम्रकैद, जुर्माने सहित 3 साल की सजा या केवल जुर्माना हो सकता है।
चिन्मय कृष्ण दास: कौन हैं वे?
चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता हैं।
- व्यक्तिगत जानकारी:
- उम्र: 37 वर्ष
- जन्मस्थान: सतकानिया, चटगांव
- पूर्व पद: 2016-2022 तक इस्कॉन के चटगांव मंडल सचिव
- वर्तमान भूमिका: सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता
- उनका योगदान:
- बचपन से ही धार्मिक उपदेश देने के कारण ‘शिशु वक्ता’ के नाम से प्रसिद्ध।
- हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से आंदोलन करते रहे हैं।
- विवाद:
- उन्हें तीन महीने पहले इस्कॉन से निलंबित कर दिया गया था।
सनातन जागरण मंच क्या है और इसकी मांगें क्या हैं?
स्थापना:
2024 में बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के दौरान हिंदुओं की आवाज उठाने के लिए यह मंच बना।
मुख्य मांगें:
- अल्पसंख्यक संरक्षण कानून लागू करना।
- अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अपराधों पर न्यायाधिकरण बनाना।
- पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास।
- धार्मिक स्थलों की सुरक्षा।
- दुर्गा पूजा के लिए 5 दिन की छुट्टी।
- पाली और संस्कृत शिक्षा बोर्ड का आधुनिकीकरण।
- अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन।
- धार्मिक ट्रस्टों को प्राथमिकता देना।
भारत और बांग्लादेश सरकार का रुख
- भारत का रुख:
- भारतीय विदेश मंत्रालय ने चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर चिंता जताई।
- बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर विरोध दर्ज कराया।
- बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
- बांग्लादेश सरकार का रुख:
- इसे ‘आंतरिक मामला’ बताया।
- बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय बयान पर आपत्ति जताई।
चिन्मय कृष्ण दास पर लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया
- बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद:
- उन्होंने आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताया।
- उन्होंने सरकार से झूठे मामलों को वापस लेने और गिरफ्तार वकीलों और पत्रकारों को रिहा करने की मांग की।
- स्थानीय प्रदर्शन:
- ढाका और चटगांव में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए।
- भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया।
चिन्मय कृष्ण दास को क्या सजा हो सकती है?
- ध्वज नियम के उल्लंघन पर:
- 1 साल की जेल या 5,000 टका जुर्माना।
- देशद्रोह के तहत:
- उम्रकैद या जुर्माने के साथ 3 साल तक की कैद।
घटना के परिणाम और अल्पसंख्यकों पर असर
चिन्मय दास की गिरफ्तारी से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय में असुरक्षा बढ़ी है।
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा पर बहस छिड़ गई है।
- भारत सहित अन्य देशों में भी बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति को लेकर चिंता जताई जा रही है।