IVF से जुड़ा सबसे बड़ा खुलासा: 40 साल बाद DNA टेस्ट से सामने आई पिता की सच्चाई, डॉक्टर पर दर्ज हुआ मेडिकल रेप का केस
इन दिनों जब दंपति को संतान प्राप्ति में दिक्कतें होती हैं, तो वे आमतौर पर आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की मदद लेते हैं। यह तकनीक लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी है। लेकिन क्या हो जब आईवीएफ के नाम पर मरीजों के साथ धोखा हो? अमेरिका के कैलिफोर्निया में ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां 40 साल बाद एक DNA टेस्ट ने परिवार की सच्चाई को उजागर किया। यह मामला इतना गंभीर है कि इसे मेडिकल रेप की श्रेणी में रखा गया है और डॉक्टर पर मुकदमा चल रहा है।
IVF का सहारा और खुशियों की लहर
1980 के दशक में कैलिफोर्निया के जेन और जॉन रो नामक दंपति को संतान सुख की चाहत थी। शादी के कई साल बाद भी जब जेन गर्भवती नहीं हो पाईं, तो उन्होंने लॉस एंजिल्स के आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. हैल सी. डेंजर से संपर्क किया। डॉक्टर ने उन्हें आईवीएफ का सुझाव दिया।
पहले तीन बार की कोशिश में गर्भधारण नहीं हुआ, लेकिन 1984 में जेन ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। हालांकि, दोनों बच्चे जन्म के कुछ ही समय बाद गुजर गए। इसके बावजूद दंपति ने उम्मीद नहीं छोड़ी और फिर से आईवीएफ प्रक्रिया का सहारा लिया।
कई असफलताओं और भारी खर्चों के बाद, 1986 में जेन ने जुड़वां बेटियों को जन्म दिया। यह उनके परिवार के लिए बेहद खुशी का पल था। बेटियां बड़ी हुईं, पढ़ाई पूरी की, और सब कुछ सामान्य लगने लगा। यह भी पढ़े : IVF आईवीएफ: एक कहानी जो विज्ञान से विश्वास तक पहुंची जानिए सब कुछ
DNA टेस्ट से हुआ बड़ा खुलासा
2024 की शुरुआत में, जेन और जॉन की जुड़वां बेटियों में से एक को अपने पूर्वजों के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उसने DNA टेस्ट कराया। जब रिपोर्ट आई, तो उसमें एक ऐसा राज खुला जिसने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया।
DNA रिपोर्ट के अनुसार, उसका डीएनए उसकी मां से तो मेल खाता था, लेकिन उसके पिता से नहीं। यह जानकर बेटी सदमे में आ गई। जब उसने अपनी मां जेन से इस बारे में बात की, तो जेन भी हैरान रह गईं।
डॉक्टर ने किया धोखा
जांच में पता चला कि डॉक्टर ने आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान जेन के पति जॉन के स्पर्म की जगह किसी और व्यक्ति के स्पर्म का इस्तेमाल किया था। डॉक्टर ने ऐसा क्यों किया, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह मामला गंभीर धोखाधड़ी और मेडिकल रेप के दायरे में आता है।
डॉक्टर के इस कृत्य को “मेडिकल रेप” इसलिए कहा गया, क्योंकि मरीज की सहमति के बिना ऐसा किया गया था। कैलिफोर्निया में इस मामले पर अदालत में सुनवाई चल रही है।
16 और भाई-बहनों का खुलासा
DNA टेस्ट से केवल यही नहीं पता चला कि बेटी का डीएनए उसके पिता से मेल नहीं खाता, बल्कि यह भी सामने आया कि उसके 16 और भाई-बहन हैं। ये सभी बच्चे 1971 से 1992 के बीच लॉस एंजिल्स में पैदा हुए थे। सभी बच्चों का इलाज डॉ. हैल सी. डेंजर ने किया था।
जांच में यह भी पता चला कि इन सभी बच्चों का डीएनए एक ही व्यक्ति से मेल खाता है। यानी डॉक्टर ने सभी मामलों में एक ही व्यक्ति के स्पर्म का इस्तेमाल किया।
मेडिकल रेप का कानूनी पक्ष
कानून के अनुसार, बिना सहमति के किसी भी व्यक्ति के स्पर्म का उपयोग करना अपराध है। यह पीड़ित परिवार के साथ विश्वासघात और गंभीर मानसिक आघात है। पुलिस के अनुसार, यह केवल मेडिकल रेप का मामला नहीं है, बल्कि नैतिकता और चिकित्सा के मानकों का खुला उल्लंघन भी है।
परिवार पर असर और आगे की लड़ाई
इस घटना ने जेन और जॉन के परिवार को गहरा आघात पहुंचाया है। बेटी, जिसने यह खुलासा किया, अभी तक सदमे से बाहर नहीं आ पाई है। परिवार इस कांड से कैसे उबरेगा, यह कहना मुश्किल है।
वहीं, डॉक्टर के खिलाफ चल रहे मुकदमे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत क्या फैसला सुनाती है। यह मामला केवल एक परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी दंपतियों के लिए चेतावनी है, जो आईवीएफ प्रक्रिया का सहारा लेते हैं।
मेडिकल जगत के लिए सबक
यह घटना चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता और विश्वास के महत्व को रेखांकित करती है। आईवीएफ जैसी प्रक्रिया में मरीज डॉक्टर पर पूरी तरह निर्भर होते हैं। ऐसे में अगर डॉक्टर ही धोखा दें, तो यह समाज और चिकित्सा प्रणाली के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।
यह केस आईवीएफ प्रक्रिया के नियम-कायदों को सख्त करने और पारदर्शिता बढ़ाने की जरूरत को उजागर करता है।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता की गिरावट का प्रतीक है। पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर रहा है और पूरी दुनिया की नजर इस केस पर है। डॉक्टर पर लगाए गए आरोप और अदालत का फैसला चिकित्सा क्षेत्र में एक नजीर बनेगा।
इस घटना ने आईवीएफ प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या उनके साथ भी कहीं कोई धोखा हुआ है?