नेटफ्लिक्स की ‘ज़ीरो डे’: क्या ये भविष्य की झलक है?

"रॉबर्ट डी नीरो की 'ज़ीरो डे': साइबर डर या असली खतरा?" "ज़ीरो डे का रहस्य: नेटफ्लिक्स पर भविष्य की कहानी या चेतावनी?"

Zulfam Tomar
8 Min Read
ज़ीरो डे नेटफ्लिक्स

Zero Day Netflix : 25 फरवरी 2025 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई नई सीरीज़ ‘ज़ीरो डे’ दर्शकों के बीच एक गर्मागर्म चर्चा का विषय बन गई है। रॉबर्ट डी नीरो जैसे दिग्गज अभिनेता की मुख्य भूमिका वाली यह छह-एपिसोड की राजनीतिक थ्रिलर सीरीज़ दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जो काल्पनिक होने के बावजूद आज की वास्तविकता से गहरे तक जुड़ी हुई लगती है। कई लोग इसे “प्रेडिक्टिव प्रोग्रामिंग” का नाम दे रहे हैं – यानी एक ऐसा कथानक जो भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी करता हुआ प्रतीत होता है। लेकिन क्या यह सीरीज़ वाकई में हमारे सामने आने वाले कल की झलक दिखाती है, या यह सिर्फ एक अच्छी तरह से गढ़ा हुआ मनोरंजन है? आइए, इसके कथानक, दर्शकों की प्रतिक्रियाओं और इसके वैश्विक राजनीति से जुड़ाव पर एक नज़र डालते हैं।

कथानक: साइबर हमले से शुरू हुई एक रहस्यमयी यात्रा

‘ज़ीरो डे’ की कहानी शुरू होती है एक भयानक साइबर हमले से, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के परिवहन और बिजली के बुनियादी ढांचे को ठप कर देता है। यह हमला महज़ एक मिनट तक चलता है, लेकिन इसके नतीजे विनाशकारी होते हैं – ट्रेन पटरी से उतरती हैं, कार दुर्घटनाएँ होती हैं, और हज़ारों लोग मारे जाते हैं। इस संकट के बीच, मौजूदा राष्ट्रपति एवलिन मिशेल (एंजेला बैसेट) अपने पूर्ववर्ती और सम्मानित पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज मुलन (रॉबर्ट डी नीरो) को बुलाती हैं ताकि वह “ज़ीरो डे कमीशन” का नेतृत्व करें और इस हमले के दोषियों का पता लगाएँ।
मुलन एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल के बाद राजनीति छोड़ दी थी, लेकिन अब वह फिर से देश की सेवा के लिए सामने आते हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, कहानी में साज़िश, अफवाहें और गलत सूचनाओं का जाल बिछता जाता है। मुलन को न सिर्फ बाहरी दुश्मनों से लड़ना है, बल्कि अपनी मानसिक स्थिति से भी जूझना पड़ता है – वह भ्रम और याददाश्त की समस्याओं से ग्रस्त होता है, जो कहानी में एक अनोखा ट्विस्ट लाता है। अंत में यह खुलासा होता है कि हमले के पीछे कोई बाहरी शक्ति नहीं, बल्कि देश के भीतर के लोग – यहाँ तक कि मुलन की अपनी बेटी, कांग्रेसवुमन एलेक्ज़ांड्रा (लिज़ी कैपलन) – शामिल हैं। यह एक ऐसा प्लॉट है जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देता है कि असली खतरा बाहर से नहीं, बल्कि भीतर से हो सकता है।

दर्शकों की प्रतिक्रियाएँ: पसंद और नापसंद का मिश्रण

‘ज़ीरो डे’ को लेकर दर्शकों की राय बँटी हुई है। X पर चल रही चर्चाओं में कुछ लोग इसे “2025 की पहली बेहतरीन सीरीज़” बता रहे हैं, तो कुछ इसे “हद से ज़्यादा नाटकीय” और “वास्तविकता से दूर” कहकर खारिज कर रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा, “रॉबर्ट डी नीरो का अभिनय शानदार है, लेकिन स्क्रिप्ट कहीं-कहीं कमज़ोर पड़ जाती है। फिर भी, साइबर हमले का डर आज के दौर में कितना सच है, ये सोचने वाली बात है।” वहीं, एक अन्य यूज़र ने टिप्पणी की, “ये सीरीज़ अमेरिकी राजनीति को समझने की कोशिश करती है, लेकिन बहुत सारे किरदार होने से कहानी बिखर जाती है।”
कई दर्शकों ने इसकी तुलना “मिस्टर रोबोट” और “हाउस ऑफ कार्ड्स” जैसी सीरीज़ से की है, लेकिन इसे उनसे अलग बताते हुए कहा कि यह मौजूदा समय की चिंताओं – जैसे साइबर सुरक्षा, गलत सूचना और राजनीतिक ध्रुवीकरण – को ज़्यादा गहराई से छूती है। हालांकि, कुछ का मानना है कि छह एपिसोड में इतने बड़े कथानक को समेटना मुश्किल था, जिससे कई सवाल अनुत्तरित रह गए।
वैश्विक राजनीति से जुड़ाव: एक डरावना प्रतिबिंब
‘ज़ीरो डे’ की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह आज की वैश्विक राजनीति और तकनीकी चुनौतियों को एक काल्पनिक ढांचे में पेश करती है। साइबर हमले का विचार कोई नया नहीं है, लेकिन जिस तरह से यह सीरीज़ इसे देश के भीतर की साज़िश से जोड़ती है, वह आज के दौर में बेहद प्रासंगिक है। हाल के वर्षों में रूस, चीन और अन्य देशों पर साइबर हमलों के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन ‘ज़ीरो डे’ एक कदम आगे बढ़कर पूछती है – क्या होगा अगर असली दुश्मन हमारे अपने हों?
सीरीज़ में गलत सूचनाओं का प्रसार और लोगों के बीच बढ़ती नफरत भी दिखाई गई है, जो आज की सोशल मीडिया संस्कृति और राजनीतिक अस्थिरता की सटीक तस्वीर पेश करती है। मुलन का किरदार जो “हम अमेरिकी हैं” कहकर लोगों को एकजुट करने की कोशिश करता है, वह एक ऐसा नेतृत्व दर्शाता है जो शायद अब वास्तविकता में कम ही देखने को मिलता है। X पर एक यूज़र ने लिखा, “ये सीरीज़ दिखाती है कि कैसे डर और साज़िशें किसी भी देश को अंदर से खोखला कर सकती हैं – ये सिर्फ अमेरिका की नहीं, हर देश की कहानी हो सकती है।

“ज़ीरो डे: क्या यह भविष्य की झलक है?

कई दर्शक और समीक्षक ‘ज़ीरो डे’ को “प्रेडिक्टिव प्रोग्रामिंग” कह रहे हैं – यानी एक ऐसी कहानी जो भविष्य की घटनाओं का संकेत देती है। लेकिन क्या यह वाकई में भविष्य की झलक है? शायद हाँ, शायद नहीं। यह सीरीज़ निश्चित रूप से उन खतरों को उजागर करती है जो तकनीक और राजनीति के गठजोड़ से पैदा हो सकते हैं। लेकिन इसके अतिनाटकीय तत्व – जैसे मुलन की मानसिक स्थिति और अंत में उसकी बेटी का विश्वासघात – इसे वास्तविकता से थोड़ा दूर ले जाते हैं। फिर भी, यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी दुनिया भी ऐसी किसी तबाही की ओर बढ़ रही है। यह भी पढ़े : नादानियां: टीवी धारावाहिक से नेटफ्लिक्स फिल्म तक

 मनोरंजन या सच्चाई की छाया?

‘ज़ीरो डे’ एक ऐसी सीरीज़ है जो अपने शानदार अभिनय (खासकर डी नीरो और जेसी प्लेमन्स की जोड़ी) और प्रासंगिक थीम्स के चलते देखने लायक है। यह मनोरंजन करती है, आपको रोमांचित करती है, और साथ ही कुछ गहरे सवाल छोड़ जाती है। हालाँकि, इसकी छोटी अवधि और कई किरदारों के कारण यह पूरी तरह से अपनी क्षमता तक नहीं पहुँच पाती। फिर भी, अगर आप राजनीतिक ड्रामा और साइबर थ्रिलर के शौकीन हैं, तो यह आपके लिए एक बेहतरीन पिक हो सकती है।
तो आप क्या सोचते हैं? क्या ‘ज़ीरो डे’ सिर्फ एक मनोरंजक कहानी है, या यह हमें आने वाले कल की चेतावनी दे रही है? अपनी राय हमें नीचे कमेंट में ज़रूर बताएँ!

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