india-US trade : भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार अब रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को प्रदर्शित करता है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत-अमेरिका के बीच कुल व्यापार 129.2 अरब डॉलर का रहा है, जो इस साझेदारी के लिए एक नया रिकॉर्ड है। यह आंकड़ा दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों के विस्तार और महत्व को दर्शाता है। हालांकि, वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर यह आंकड़ा और भी अधिक प्रभावशाली है, जिसका विस्तृत विश्लेषण हमने किया है
2024 में भारत-अमेरिका के बीच कुल वस्तु व्यापार (गुड्स ट्रेड) 129.2 अरब डॉलर का रहा है। इसमें अमेरिका द्वारा भारत को निर्यात 41.8 अरब डॉलर का था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.4 प्रतिशत (1.4 अरब डॉलर) अधिक है। इसी अवधि में, भारत से अमेरिका को निर्यात 87.4 अरब डॉलर का रहा, जो 2023 की तुलना में 4.5 प्रतिशत (3.7 अरब डॉलर) अधिक है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अमेरिका के साथ भारत का व्यापार घाटा 45.7 अरब डॉलर का है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.4 प्रतिशत (2.4 अरब डॉलर) बढ़ा है।
अगर वस्तुओं और सेवाओं दोनों को मिलाकर देखें, तो 2023 में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार 190.08 अरब डॉलर का था, जिसमें 123.89 अरब डॉलर का वस्तु व्यापार और 66.19 अरब डॉलर का सेवा व्यापार शामिल था1। 2023 में, भारत का अमेरिका को वस्तु निर्यात 83.77 अरब डॉलर था, जबकि आयात 40.12 अरब डॉलर का था, जिससे भारत के पक्ष में 43.65 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष रहा।
इन आंकड़ों में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिसके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। 2023-24 में, अमेरिका 119.71 अरब डॉलर के द्विपक्षीय वस्तु व्यापार के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसमें 77.51 अरब डॉलर का निर्यात, 42.19 अरब डॉलर का आयात और 35.31 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष शामिल था।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों की समझ को पूर्ण करने के लिए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि दोनों देश एक-दूसरे को क्या निर्यात करते हैं। 2023 में, भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात की गई प्रमुख वस्तुओं में पैकेज्ड दवाइयां (10.4 अरब डॉलर), हीरे (7.61 अरब डॉलर), और प्रसारण उपकरण (6.18 अरब डॉलर) शामिल थे। पिछले पांच वर्षों में भारत से अमेरिका को निर्यात 9.06% की वार्षिक दर से बढ़ा है, जो 2018 के 55.4 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 85.5 अरब डॉलर हो गया है।
दूसरी ओर, 2023 में अमेरिका से भारत को निर्यात की गई प्रमुख वस्तुओं में कच्चा पेट्रोलियम (5.5 अरब डॉलर), कोयला ब्रिकेट्स (4.61 अरब डॉलर), और गैस टरबाइन (2.39 अरब डॉलर) शामिल थे। पिछले पांच वर्षों में अमेरिका से भारत को निर्यात 5.91% की वार्षिक दर से बढ़ा है, जो 2018 के 31.1 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 41.4 अरब डॉलर हो गया है।
नवंबर 2024 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने अमेरिका को 5.71 अरब डॉलर का निर्यात किया और 3.75 अरब डॉलर का आयात किया, जिससे 1.96 अरब डॉलर का सकारात्मक व्यापार संतुलन बना। इस महीने में भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात किए गए प्रमुख उत्पादों में मोती, कीमती और अर्द्ध कीमती पत्थर (594 मिलियन डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (522 मिलियन डॉलर), दवा फॉर्मूलेशन, जैविक उत्पाद (488 मिलियन डॉलर), टेलीकॉम उपकरण (320 मिलियन डॉलर), और कपास के रेडीमेड गारमेंट्स (247 मिलियन डॉलर) शामिल थे।
भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों में वस्तु व्यापार के अलावा, सेवा क्षेत्र का योगदान भी महत्वपूर्ण है। 2023 में, भारत का अमेरिका को सेवा निर्यात 36.33 अरब डॉलर था, जबकि आयात 29.86 अरब डॉलर का था। इससे भारत के पक्ष में 6.47 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष बना।
2017 में, अमेरिका ने भारत को 22.7 अरब डॉलर मूल्य की सेवाओं का निर्यात किया, जिसमें यात्रा (12.2 अरब डॉलर), रॉयल्टी और लाइसेंस शुल्क (2.29 अरब डॉलर), और वित्तीय सेवाएं (2.09 अरब डॉलर) मूल्य के हिसाब से सबसे बड़ी थीं3। हालांकि, सर्च परिणामों में 2023 या उसके बाद के सेवा क्षेत्र के विस्तृत आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध दोनों देशों के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। 2024 तक, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों की सूची में दसवें स्थान पर है। यह अंतर इस तथ्य को दर्शाता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था भारत की तुलना में बहुत बड़ी है और उसके वैश्विक व्यापारिक संबंध अधिक विविध हैं।
अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 तक, भारत ने अमेरिका से 67.8 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त किया है। यह आंकड़ा दिखाता है कि भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध केवल व्यापार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि निवेश के माध्यम से भी गहराई से जुड़े हुए हैं।
दोनों देश व्यापार संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं। अमेरिका और भारत ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें भारत को अमेरिकी औद्योगिक वस्तुओं के निर्यात और अमेरिका को भारत के श्रम-प्रधान निर्मित उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना शामिल है। दोनों पक्ष कृषि वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने के लिए भी साथ मिलकर काम करेंगे।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में विकास की महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं। दोनों देश एक प्रस्तावित व्यापार समझौते के व्यापक परिप्रेक्ष्य को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। भारतीय वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल के अनुसार, दोनों पक्ष इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि समझौते के पहले चरण में महत्वाकांक्षा का स्तर क्या होगा और इसकी प्रकृति कैसी होगी।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी मौजूद हैं। अमेरिका के तर्क अनुसार, भारत के उच्च शुल्क अमेरिकी निर्यात के लिए बाधा उत्पन्न करते हैं। दूसरी ओर, भारत कई श्रम-प्रधान वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्कों के उच्च होने का हवाला देता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, अमेरिका से भारत को निर्यात के 75 प्रतिशत मूल्य पर औसत शुल्क 5 प्रतिशत से कम है। इसके विपरीत, भारत को कपड़ा, परिधान और जूते जैसी कई श्रम-प्रधान वस्तुओं पर 15 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक के उच्च अमेरिकी शुल्कों का सामना करना पड़ता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल 2025 से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा के बाद, भारत को सालाना लगभग 61,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है। यह नुकसान रासायनिक उत्पादों, धातु उत्पादों, आभूषण, ऑटो सेक्टर और खाद्य उत्पादों पर पड़ेगा। भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है, लेकिन दोनों देश व्यापारिक समझौतों के माध्यम से इसे कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
भारत और अमेरिका इस साल एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है। इस समझौते से टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे
भारत-अमेरिका व्यापार के संदर्भ में वर्तमान मुद्रा विनिमय दर का उल्लेख करना भी उचित होगा। मार्च 10, 2025 के आसपास, 1 अमेरिकी डॉलर लगभग 87.27 भारतीय रुपये के बराबर है। यह विनिमय दर पिछले 30 दिनों में 86.60 से 87.81 के बीच रही है, जिसका औसत 87.08 रहा है। पिछले 90 दिनों में, इसमें 2.76 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विनिमय दर में उतार-चढ़ाव द्विपक्षीय व्यापार की गतिशीलता को प्रभावित कर सकते हैं।