Tamil Nadu vs Centre: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाल के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब पीएम मोदी ने राज्यों के फंड मांगने को “रोना-धोना” करार दिया, और अमित शाह ने 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार बनाने का दावा किया। स्टालिन ने इन बयानों को तमिलनाडु के हितों पर हमला बताते हुए केंद्र सरकार पर राज्य के विकास को रोकने और सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया।
यह मामला केंद्र और राज्यों के बीच तनाव का एक और उदाहरण बन गया है, जो 2026 के चुनावों से पहले और गहरा सकता है। यह मामला अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। आइए, जानते हैं कि इस विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ।
मोदी के ‘फंड्स के लिए रोने’ वाले बयान का बैकग्राउंड
दरअसल कुछ दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सार्वजनिक बयान में अप्रत्यक्ष रूप से कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कुछ मुख्यमंत्री केंद्र से अपने राज्यों के लिए फंड मांगते वक्त “रोते रहते हैं” या “क्राइंग” करते हैं। यह बयान मोदी ने एक राजनीतिक संदर्भ में दिया, जिसमें उन्होंने केंद्र के फंड आवंटन के फैसलों का बचाव किया और राज्यों की शिकायतों की आलोचना की।
यह बात तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन को नागवार गुजरी। उनके मुताबिक, तमिलनाडु केंद्र से अपने हक का हिस्सा मांग रहा है, न कि कोई भीख। द हिंदू के एक लेख के अनुसार, स्टालिन ने मोदी के इस कमेंट का जवाब देते हुए कहा कि तमिलनाडु अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है, और यह कोई “रोना-धोना” नहीं है।
जानिये PM मोदी के बयान: कब, कहाँ, और क्या कहा
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6 अप्रैल 2025, रामेश्वरम: पीएम नरेंद्र मोदी ने रामेश्वरम में एक रैली को संबोधित करते हुए तमिलनाडु सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ मुख्यमंत्री केंद्र से फंड्स मांगते वक्त “रोते रहते हैं”। मोदी ने दावा किया कि उनकी सरकार ने तमिलनाडु को पहले की तुलना में तीन गुना ज्यादा फंड्स दिए हैं। उन्होंने कहा, “2014 से पहले तमिलनाडु को सालाना सिर्फ 900 करोड़ रुपये मिलते थे। इस साल रेल बजट 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। फिर भी कुछ लोग रोना-धोना करते हैं।” मोदी ने यह भी कहा कि केंद्र ने तमिलनाडु में रेलवे, सड़क, और अन्य योजनाओं के लिए भारी निवेश किया है, जैसे 4,000 किलोमीटर सड़कें और 77 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण।PM मोदी ने भाषा विवाद पर भी टिप्पणी की, यह कहते हुए कि तमिलनाडु के नेता उन्हें पत्र लिखते हैं, लेकिन कोई भी तमिल में हस्ताक्षर नहीं करता। उन्होंने कहा, “अगर आपको तमिल पर गर्व है, तो कम से कम अपने नाम तमिल में लिखें।” यह टिप्पणी डीएमके सरकार के उस आरोप के जवाब में थी, जिसमें उसने केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया था।
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पंबन ब्रिज उद्घाटन, रामेश्वरम ( अप्रैल 2025): पंबन ब्रिज के उद्घाटन के दौरान, मोदी ने तमिलनाडु को मिलने वाले फंड्स का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र ने 8,300 करोड़ रुपये की परियोजनाएँ शुरू की हैं। उन्होंने डीएमके सरकार के फंड रोकने के आरोपों को खारिज किया और कहा कि तमिलनाडु को केंद्र की योजनाओं से बहुत फायदा हुआ है।
अमित शाह के बयान: कब, कहाँ, और क्या कहा
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11 अप्रैल 2025, चेन्नई: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चेन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि बीजेपी और एआईएडीएमके 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तौर पर लड़ेंगे। उन्होंने कहा, “यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर पीएम नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु में एडप्पादी पलानीस्वामी (ईपीएस) और एआईएडीएमके की अगुवाई में लड़ा जाएगा।” शाह ने यह भी दावा किया कि एनडीए तमिलनाडु में सरकार बनाएगा। उन्होंने डीएमके सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जैसे शराब, रेत खनन, और नौकरी के बदले नकदी घोटाले।
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26 फरवरी 2025, कोयंबटूर: शाह ने कोयंबटूर में एक रैली में डीएमके के उस दावे को खारिज किया, जिसमें स्टालिन ने कहा था कि डिलिमिटेशन की वजह से तमिलनाडु की 8 लोकसभा सीटें कम हो सकती हैं। शाह ने कहा, “पीएम मोदी ने लोकसभा में साफ किया है कि डिलिमिटेशन के बाद दक्षिणी राज्यों की एक भी सीट कम नहीं होगी।” उन्होंने स्टालिन के फंड रोकने के आरोपों को भी गलत बताया और कहा, “पिछले पाँच साल में मोदी सरकार ने तमिलनाडु को 5 लाख करोड़ रुपये दिए हैं, जो यूपीए सरकार से कहीं ज्यादा है।”
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8 मार्च 2025, रानीपेट: रानीपेट में एक सीआईएसएफ कार्यक्रम में, शाह ने स्टालिन से तमिल में मेडिकल और इंजीनियरिंग कोर्स शुरू करने की अपील की। यह बयान हिंदी थोपने के डीएमके के आरोपों के जवाब में था। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने तमिल भाषा को बढ़ावा दिया है, जैसे कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की परीक्षाएँ तमिल में देने की सुविधा।
स्टालिन का पलटवार PM मोदी को रिमाइंडर: गुजरात सीएम के समय के बयान
स्टालिन ने इन बयानों का जवाब देते हुए कहा कि तमिलनाडु अपने हक के लिए लड़ रहा है, न कि “रो रहा” है। उन्होंने मोदी के गुजरात सीएम के समय के बयानों को याद दिलाया, जब मोदी ने कहा था कि राज्यों को केंद्र से “भीख” नहीं मांगनी चाहिए। स्टालिन ने कहा, “हमारा माँगना रोना नहीं, हमारा हक है।” शाह के 2026 के दावे पर, स्टालिन ने कहा, “यहाँ कोई शाह राज नहीं कर सकता। तमिलनाडु कभी दिल्ली के सामने नहीं झुकेगा।” उन्होंने केंद्र पर फंड्स में भेदभाव और तमिलनाडु के विकास को रोकने का आरोप लगाया। स्टालिन ने बीजेपी पर “पार्टी पोचिंग” का भी आरोप लगाया, यानी विपक्षी नेताओं को तोड़ने की कोशिश।
बीजेपी पर पार्टी पोचिंग का आरोप
स्टालिन ने अपने बयानों में बीजेपी पर एक और गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी तमिलनाडु में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए “पार्टी पोचिंग” जैसे हथकंडे अपना रही है। पार्टी पोचिंग का मतलब है विपक्षी पार्टियों के नेताओं या विधायकों को पैसे या सत्ता का लालच देकर अपनी पार्टी में शामिल करना। स्टालिन ने कहा कि ऐसे हथकंडों से बीजेपी तमिलनाडु के लोगों का भरोसा नहीं जीत सकती,स्टालिन ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया और कहा कि तमिलनाडु के लोग ऐसे हथकंडों को स्वीकार नहीं करेंगे।
तमिलनाडु बनाम दिल्ली का नैरेटिव
स्टालिन ने अपने भाषणों और बयानों में एक बड़ा मुद्दा उठाया: “तमिलनाडु कभी दिल्ली के प्रशासन के सामने नहीं झुकेगा।” यह केंद्र की बीजेपी-नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक सीधी चुनौती थी। स्टालिन का कहना था कि तमिलनाडु अपनी स्वायत्तता autonomy और पहचान को बनाए रखेगा, और दिल्ली से किसी भी तरह का नियंत्रण या दबाव स्वीकार नहीं करेगा। यह बयान तमिलनाडु के राजनीतिक और सांस्कृतिक गर्व को दर्शाता है, क्योंकि यह राज्य हमेशा से अपनी क्षेत्रीय पहचान और आत्म-शासन के लिए मुखर रहा है। स्टालिन ने यह भी कहा कि तमिलनाडु अपने टैक्सपेयर्स के पैसे का उचित हिस्सा मांग रहा है, और यह कोई एहसान नहीं है जो केंद्र उन पर कर रहा है। उन्होंने केंद्र के फंड बँटवारे की व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि तमिलनाडु जैसे आर्थिक रूप से मजबूत राज्यों के साथ गलत व्यवहार हो रहा है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
चेन्नई और अन्य शहरों में स्थानीय लोगों के बीच इस विवाद ने खासी चर्चा पैदा की है। चेन्नई के एक कॉलेज छात्र रमेश ने कहा, “स्टालिन हमारे राज्य के हक के लिए लड़ रहे हैं। केंद्र को तमिलनाडु के टैक्स का पैसा वापस करना चाहिए।” वहीं, कोयंबटूर के एक दुकानदार मुथु ने चिंता जताई, “यह राजनीतिक ड्रामा हमें परेशान करता है। केंद्र और राज्य के झगड़े से सड़क, स्कूल और अस्पताल जैसे काम रुक जाते हैं।” सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी लोग इस मुद्दे पर बँटे दिखे। कुछ यूजर्स ने स्टालिन के रुख की तारीफ की, तो कुछ ने इसे 2026 के चुनावों के लिए वोटरों को लुभाने की रणनीति बताया।
ये सारी बातें तमिलनाडु के राजनीतिक माहौल में एक गर्मागर्म चर्चा का विषय बन गई हैं। लोग इस मुद्दे पर अपने विचार शेयर कर रहे हैं।
वही BJP जो राज्य में विपक्ष में है का जवाब
तमिलनाडु बीजेपी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन ने स्टालिन के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार तमिलनाडु के लिए कई योजनाएँ चला रही है, लेकिन डीएमके सरकार इसका क्रेडिट लेना चाहती है। स्टालिन का यह आक्रामक रुख सिर्फ राजनीतिक ड्रामा है।” बीजेपी नेताओं का यह भी कहना है कि 2026 में तमिलनाडु के लोग बदलाव चाहते हैं, और बीजेपी उनके लिए एक विकल्प पेश कर रही है।
केंद्र-राज्य तनाव और जनता पर असर
यह विवाद केंद्र और राज्यों के बीच पुराने तनाव को फिर से उजागर करता है, खासकर जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हों। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में फंड्स,“funds” परियोजनाओं और नीतियों को लेकर अक्सर टकराव होता है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। चेन्नई के एक राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रामू मणिवन्नन ने कहा, “जब केंद्र और राज्य की सरकारें एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में उलझती हैं, तो विकास कार्य रुक जाते हैं। तमिलनाडु जैसे राज्य, जो आर्थिक रूप से मजबूत है, को इस तरह के टकराव से नुकसान होता है।”
अब तक क्या हुआ – सारांश देखों
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पीएम मोदी ने राज्यों के फंड्स के लिए “रोने” वाला कमेंट किया।
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स्टालिन ने इसका जवाब दिया, मोदी के गुजरात सीएम के समय के बयानों को याद दिलाते हुए।
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अमित शाह ने 2026 में तमिलनाडु में बीजेपी की सरकार बनाने का लक्ष्य बताया।
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स्टालिन ने शाह को चुनौती दी, कहा “यहाँ कोई शाह राज नहीं कर सकता” और केंद्र पर तमिलनाडु के विकास को रोकने का आरोप लगाया।
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स्टालिन ने बीजेपी पर पार्टी पोचिंग का भी आरोप लगाया और तमिलनाडु की स्वायत्तता पर जोर दिया।
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यह मुद्दा अब राजनीतिक और सार्वजनिक चर्चाओं का हिस्सा बन गया है, जिसमें 2026 का चुनाव एक बड़ा फैक्टर है।
यह विवाद 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से पहले और गहरा सकता है। स्टालिन का क्षेत्रीय गर्व और स्वायत्तता पर जोर तमिलनाडु के वोटरों के बीच एक भावनात्मक मुद्दा बन रहा है, जबकि बीजेपी इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है। केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच फंड्स और विकास परियोजनाओं को लेकर बातचीत कब और कैसे आगे बढ़ेगी, यह देखना बाकी है।