Healthcare Services GST Rate :भारत के अस्पतालों में बिलिंग प्रक्रिया में अक्सर पारदर्शिता की कमी देखी जाती है, विशेष रूप से जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के संदर्भ में। नवीनतम जानकारी के अनुसार, कई अस्पताल मरीजों से अनुचित रूप से अधिक GST वसूल रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं के पहले से ही बढ़े हुए खर्च में और वृद्धि हो रही है। जैसे ही कोई मरीज अस्पताल में भर्ती होता है, खर्च का मीटर चलना शुरू हो जाता है, और विशेष रूप से निजी अस्पतालों में, दैनिक बिल एक लाख रुपये से अधिक तक पहुंच सकता है। इस रिपोर्ट में हम स्वास्थ्य सेवाओं पर लागू GST नियमों, अस्पतालों द्वारा की जाने वाली आम गलतियों, और अपने अधिकारों को जानने के महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
स्वास्थ्य सेवाओं पर GST का प्रावधान जटिल है, और इसमें विभिन्न सेवाओं के लिए अलग-अलग दरें निर्धारित की गई हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि सभी चिकित्सा सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगती है और कुछ पर विशिष्ट दरों से ही लगती है।
अस्पतालों में डॉक्टर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं, डायग्नॉस्टिक ट्रीटमेंट एंड केयर या जांच पर , उपचार और देखभाल संबंधी सेवाओं पर कोई जीएसटी नहीं लगती है। इसको थोडा आसान करके बताते है
- अस्पताल की बेसिक हेल्थकेयर सेवाएं (जैसे डॉक्टर की फीस, ऑपरेशन, बेड चार्ज) GST से मुक्त हैं।
- लेकिन अगर अस्पताल गैर-स्वास्थ्य सेवाएं (जैसे रूम अपग्रेड, मेडिकल रिपोर्ट प्रिंटिंग, एंबुलेंस सेवा) देता है, तो उन पर 18% तक GST लग सकता है।
- कुछ इम्प्लांट्स (जैसे स्टेंट, पेसमेकर) पर 5% से 12% GST लगता है।
यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है जिसे हर मरीज को पता होना चाहिए, क्योंकि यह बिल की एक बड़ी राशि का हिस्सा होता है।
अस्पताल में रहने के दौरान आवास (कमरा) और दवाओं जैसी अन्य सेवाओं पर अधिकतम 5% जीएसटी लग सकती है। हालांकि, कमरे के शुल्क पर GST केवल तभी लागू होती है जब प्रतिदिन कमरा का किराया 5,000 रुपये से अधिक हो। यह सीमा महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि आपके कमरे का किराया इस सीमा से कम है, तो आपको इस पर कोई GST नहीं देनी। अस्पताल में उपयोग होने वाली कुछ वस्तुओं और उपकरणों पर अधिकतम 12% तक जीएसटी लग सकती है। इन वस्तुओं में मेडिकल उपकरण, सर्जिकल सामग्री, और अन्य चिकित्सकीय आपूर्ति शामिल हो सकती हैं।
जब हम इन नियमों को समझते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि अस्पताल के कुल बिल पर 18% जीएसटी लगाना पूरी तरह से अनुचित और गैरकानूनी है। फिर भी, कई छोटे अस्पताल ऐसा करते हैं और मरीजों का आर्थिक शोषण करते हैं।
Don’t Pay GST on Entire Medical Bills, Must Check Here
अस्पताल बिलिंग में गलतियां आम हैं, और कई बार ये गलतियां जानबूझकर की जाती हैं। सबसे आम गलतियों में से एक है डॉक्टर सेवाओं, डायग्नॉस्टिक जाँच और उपचार पर GST लगाना, जबकि इन सेवाओं पर कोई GST नहीं है । यह गलती आमतौर पर तब होती है जब अस्पताल अपने बिल में सेवाओं को स्पष्ट रूप से अलग नहीं करते और पूरे बिल पर एक समान GST दर लागू करते हैं।
कैसे होता है GST का खेल?
- कुछ अस्पताल बेसिक सेवाओं पर भी GST जोड़ देते हैं, जबकि वह छूट के दायरे में होती हैं।
- पैकेज ट्रीटमेंट (जैसे डिलिवरी पैकेज, सर्जरी पैकेज) में दवा और बेड चार्ज अलग न दिखाकर GST जोड़ दिया जाता है।
- प्राइवेट रूम चार्ज पर 5% GST लगता है, वो भी जब आपका प्लेरतिदिन का किराया 5000 रुपे हसे या इससे ज्यादा हो लेकिन कई अस्पताल इसे बढ़ा-चढ़ाकर 12% या 18% दिखा देते हैं।
- अस्पतालों द्वारा दवाएं MRP पर बेचने से भी मरीज को ज्यादा खर्च करना पड़ता है, क्योंकि MRP में पहले से ही GST शामिल होता है।
- Doctor’s consultation fees are GST-free, but some medicines attract 5% or 12% GST. Cosmetic procedures such as plastic surgery are taxable and not exempt from GST. Essential medicines like insulin and vaccines have 5% GST, while others can have up to 12%
कई अस्पताल छोटी-छोटी सेवाओं पर भी अधिक जीएसटी वसूलते हैं। उदाहरण के लिए, 5,000 रुपये से कम के दैनिक कमरा शुल्क पर भी जीएसटी लगाना या दवाओं और कमरे के शुल्क पर 5% से अधिक जीएसटी वसूलना। ये प्रथाएं न केवल अनैतिक हैं बल्कि कानूनी रूप से भी गलत हैं।
अधिकांश मरीज या उनके परिवार के सदस्य बिल की जटिलता के कारण इन गलतियों को पहचान नहीं पाते हैं। जब वे अस्पताल से डिस्चार्ज होते हैं, तो उन्हें एक लंबा बिल दिया जाता है जिसमें विभिन्न सेवाओं और वस्तुओं के लिए शुल्क शामिल होते हैं। अधिकांश लोग बिल के अंत में देखते हैं और कुल राशि का भुगतान कर देते हैं, जीएसटी दरों की जांच किए बिना।
जीएसटी का अनुचित अनुप्रयोग मरीजों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ बन सकता है, विशेषकर लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की स्थिति में। उदाहरण के लिए, एक मरीज जो निजी अस्पताल में 10 दिनों तक भर्ती रहता है, उसका कुल बिल लाखों रुपये तक पहुंच सकता है। अगर इस पूरे बिल पर 18% जीएसटी लगाया जाए, जबकि वास्तव में केवल कुछ सेवाओं पर ही 5% या 12% जीएसटी लगना चाहिए, तो अंतर हजारों या दस हजारों रुपये का हो सकता है।
यह प्रभाव विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो बिना स्वास्थ्य बीमा के हैं या जिनके बीमा कवरेज की सीमा कम है। इसके अलावा, कई बीमा कंपनियां अनुचित या अवैध जीएसटी शुल्कों को कवर नहीं करती हैं, जिससे मरीजों को अपनी जेब से अतिरिक्त रकम का भुगतान करना पड़ता है।
अस्पताल के बिल में GST की जटिलता इस तथ्य से और बढ़ जाती है कि अलग-अलग सेवाओं पर अलग-अलग दरें लागू होती हैं। कभी-कभी, अस्पताल बिल में सारी जानकारी विस्तार से नहीं दी जाती, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि किस सेवा पर कितनी GST लगाई गई है।
अस्पताल बिल में GST संबंधी गलतियों से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है अपने अधिकारों को जानना और सतर्क रहना। जब भी आप या आपका कोई परिजन या कोई दोस्त अस्पताल से डिस्चार्ज हो, तो बिल का भुगतान करने से पहले इसकी सावधानीपूर्वक जांच करें। बिल में प्रत्येक वस्तु और सेवा को देखें और उस पर लगाए गए जीएसटी की दर की जांच करें।
याद रखें कि डॉक्टर की सेवाओं, डायग्नॉस्टिक परीक्षणों और उपचार पर कोई जीएसटी नहीं लगनी चाहिए। यदि आप देखते हैं कि इन सेवाओं पर जीएसटी लगाया गया है, तो इसे तुरंत अस्पताल प्रशासन के ध्यान में लाएं। इसी तरह, सुनिश्चित करें कि कमरे के शुल्क और दवाओं पर जीएसटी 5% से अधिक नहीं है, और कमरे पर जीएसटी केवल तभी लागू होनी चाहिए जब दैनिक शुल्क 5,000 रुपये से अधिक हो।
किसी भी अस्पष्टता या संदिग्ध शुल्क के मामले में, अस्पताल के बिलिंग विभाग से स्पष्टीकरण मांगने से न हिचकें। यदि आप संतुष्ट नहीं हैं, तो बिल का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए कहें और सुनिश्चित करें कि सही जीएसटी दरें लागू की गई हैं।
यदि आप देखते हैं कि अस्पताल ने आपके बिल में गलत तरीके से GST लगाया है, तो कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, अस्पताल के बिलिंग विभाग से बात करें और उन्हें गलती के बारे में बताएं। अधिकांश मामलों में, यदि आप स्पष्ट रूप से गलती को इंगित करते हैं और प्रासंगिक नियमों का हवाला देते हैं, तो अस्पताल बिल को संशोधित कर देगा।
यदि अस्पताल आपकी शिकायत पर ध्यान नहीं देता या सही बिल बनाने से इनकार करता है, तो आप आगे की कार्रवाई कर सकते हैं। आप अस्पताल के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए आप स्थानीय उपभोक्ता फोरम, GST विभाग या स्वास्थ्य विभाग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
जब भी संभव हो, अपने बिल और भुगतान के सभी दस्तावेजों की प्रतियां रखें। ये दस्तावेज किसी भी विवाद या शिकायत के दौरान सबूत के रूप में काम आएंगे। आप सोशल मीडिया या उपभोक्ता फोरम के माध्यम से अपने अनुभव को साझा करके अन्य लोगों को भी जागरूक कर सकते हैं,
जागरूकता सबसे बड़ा बचाव है। अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों को भी स्वास्थ्य सेवाओं पर लागू जीएसटी नियमों के बारे में शिक्षित करें। जितने अधिक लोग इन नियमों से अवगत होंगे, उतना ही कम अस्पताल गलत तरीके से जीएसटी वसूलने का जोखिम उठाएंगे।
अस्पताल के बिलों में GST का विषय जटिल होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण भी है। जैसा कि हमने देखा है, कई अस्पताल मरीजों से अनुचित रूप से अधिक GST वसूल रहे हैं, हमे भी हमारे दोस्तो ने इसके बारे में बताया कि उनके साथ इस तरह का मामला सामने आया तभी हमने सोचा की इसके बारे में लोगो को बताया जाये स्वास्थ्य सेवाओं पर लागू जीएसटी नियमों को समझना और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। अगर आपके साथ भी कोई इस तरह का मामला हुवा है तो हमारे साथ साझा करे
जब भी आप या आपका कोई प्रियजन अस्पताल से डिस्चार्ज हो, तो बिल का भुगतान करने से पहले इसकी सावधानीपूर्वक जांच करें। किसी भी विसंगति के मामले में, तुरंत अस्पताल प्रशासन से बात करें और यदि आवश्यक हो तो आगे की कार्रवाई करें। याद रखें, आपकी सतर्कता न केवल आपके लिए आर्थिक बचत का कारण बन सकती है, बल्कि यह अस्पतालों को अपनी बिलिंग प्रक्रियाओं में सुधार करने के लिए भी प्रेरित कर सकती है।
