2019 में सात फेरो कसमों-वादों के बीच कड़वाहट की कहानी: अतुल सुभाष -नikita की शादी के 5 साल बाद आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने जिंदगी खत्म करने पर मजबूर कर दिया

Zulfam Tomar
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अतुल सुभाष आत्महत्या मामला: 24 पन्नों के सुसाइड नोट में लिखी इंसाफ की गुहार

बेंगलुरु से बिहार तक गूंजा दर्द
बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट स्थित डेल्फीनियम रेजीडेंसी में 34 वर्षीय इंजीनियर और निजी कंपनी के डिप्टी जनरल मैनेजर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले अतुल ने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उन्होंने अपने जीवन की दुश्वारियों और उन्हें आत्महत्या तक पहुंचाने वाली परिस्थितियों का विस्तृत वर्णन किया।

अतुल का सुसाइड नोट न केवल भावनात्मक रूप से झकझोरने वाला है, बल्कि यह न्याय प्रणाली, पारिवारिक विवाद और समाज में बढ़ती मानसिक समस्याओं पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। उन्होंने लिखा, मरने के बाद मेरी अस्थियों को तब तक मत विसर्जित करना, जब तक इंसाफ न मिल जाए।”


2019 में हुई थी शादी, 5 साल में बदल गई जिंदगी

अतुल सुभाष ने 26 JUNE 2019 में जौनपुर के रुहट्टा निवासी निकिता सिंघानिया से शादी की थी। शादी के शुरुआती दिन सामान्य थे, लेकिन जल्द ही उनके जीवन में उथल-पुथल शुरू हो गई। निकिता ने अतुल और उनके परिवार पर दीवानी न्यायालय में दहेज उत्पीड़न का मुकदमा लगा दिया

निकिता का कहना था कि शादी के बाद ससुराल वालों ने 10 लाख रुपये की मांग की और जब उनकी यह मांग पूरी नहीं हुई, तो उन्होंने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इस तनाव से उनके पिता का निधन हो गया। इसके बावजूद निकिता ने रिश्ते को बचाने की कोशिश की और परिवारवालों के  समझाने पर अतुल उसे बेंगलुरु ले गया बेंगलुरु में अतुल के साथ रहने चली गईं।

फरवरी 2020 में उनके घर एक बेटे का जन्म हुआ। लेकिन परिस्थितियां और बिगड़ती चली गईं। निकिता ने आरोप लगाया कि फरवरी 2021 में अतुल ने उन्हें मारपीट कर घर से निकाल दिया, जिसके बाद वह अपने मायके लौट आईं।


कोर्ट के आदेश और विवाद

2021 में निकिता ने भरण-पोषण का मुकदमा दाखिल किया, जिसमें उन्होंने अपने और बेटे के लिए 2 लाख रुपये प्रति माह की मांग की। कोर्ट ने निकिता के भरण पोषण की याचिका खारिज कर दी, लेकिन बेटे के लिए अतुल को हर महीने 40,000 रुपये देने का आदेश दिया।

इसके साथ ही निकिता ने अतुल पर कई अन्य गंभीर आरोप लगाए, जिनमें हत्या की कोशिश, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के मामले शामिल थे। इन मामलों के कारण अतुल का मानसिक तनाव लगातार बढ़ता गया।


सुसाइड नोट में गंभीर आरोपअतुल का 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट ,justice is due

अतुल ने अपने सुसाइड नोट में न केवल अपने परिवार पर लगे आरोपों का खंडन किया, बल्कि यह भी बताया कि उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए। उन्होंने अपनी पत्नी, सास, साले और पत्नी के चाचा पर तीन करोड़ रुपये की मांग के लिए मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया।

सुसाइड नोट में अतुल ने जौनपुर के एक कोर्ट के जज और पेशकार पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज मामलों के समाधान के लिए रिश्वत मांगी गई थी।अतुल का 24 पन्नों का सुसाइड नोट

9 दिसंबर को अतुल ने आत्महत्या से पहले अपना 24 पन्नों का सुसाइड नोट और लगभग 80 मिनट का वीडियो एक एनजीओ के व्हाट्सऐप ग्रुप में भेजा, जिससे उनकी आखिरी आवाज सबके सामने आ सके।


निकिता का पक्ष

निकिता ने आरोप लगाया कि शादी के बाद से ही अतुल और उनके परिवार ने उन्हें प्रताड़ित किया। निकिता खुद एक जॉब करती थीं और 78,245 रुपये प्रति माह वेतन पाती थीं। इसके बावजूद उन्होंने अपने बेटे के भविष्य के लिए भरण-पोषण की मांग की थी।


मानसिक तनाव और इंसाफ की गुहार

अतुल सुभाष के जीवन का यह अध्याय समाज के लिए एक गंभीर संदेश है। एक AI इंजीनियर और प्रतिष्ठित पद पर आसीन व्यक्ति ने अपनी जान इस कदर की समस्याओं के चलते दी।

यह घटना सिर्फ एक आत्महत्या नहीं है, बल्कि समाज में न्याय प्रणाली और पारिवारिक विवादों से जुड़े गंभीर मुद्दों को उजागर करती है। अतुल के शब्द, “जब तक इंसाफ न मिले, मेरी अस्थियों को विसर्जित न करना, उनके दर्द और न्याय की उनकी चाह को साफ दर्शाते हैं।


क्या यह मामला न्याय पा सकेगा?

अतुल सुभाष के भाई ने उनकी पत्नी, सास, साले और अन्य पर मुकदमा दर्ज कराया है। इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। साथ ही, जज रीता कौशिक और पेशकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच की जा रही है।

यह मामला एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक विवाद और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की कितनी आवश्यकता है। अतुल सुभाष का यह कदम केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है।


निष्कर्ष:
अतुल सुभाष का यह मामला केवल एक पारिवारिक विवाद नहीं है, बल्कि यह हमारी न्याय प्रणाली और सामाजिक ताने-बाने की खामियों को भी उजागर करता है। इस घटना से यह सीखने की जरूरत है कि किसी भी परिस्थिति में संवाद और समर्थन कितना महत्वपूर्ण होता है। हमारी सरकारों और समाज और सिस्टम को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई और निराश और हताश होकर अतुल सुभाष जैसा कदम न उठाए।

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