“73 बार रिजेक्ट होने के बाद भी खड़ी की 52,000 करोड़ की दो यूनिकॉर्न कंपनियां: रुचि कालरा और आशीष महापात्रा पढ़िए इस कपल की प्रेरणादायक कहानी”

Edited by Zulfam Tomar

व्यापार की दुनिया में सफलता का रास्ता हमेशा आसान नहीं होता। यह संघर्ष, धैर्य, और आत्मविश्वास की लंबी यात्रा होती है। आज हम ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी के बारे में बात करेंगे, जिसमें असफलताओं के बावजूद सफलता की ऊँचाइयों को छूने की कहानी है। यह कहानी है एक कपल की, जिनका नाम रुचि कालरा और आशीष महापात्रा है। दोनों ने अपने दम पर ऐसी दो कंपनियों की स्थापना की, जो आज यूनिकॉर्न बन चुकी हैं, और उनकी कुल वैल्यूएशन 52,000 करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी है। उनकी कहानी न केवल उद्यमिता के क्षेत्र में बल्कि जीवन के हर पहलू में संघर्ष और सफलता की मिसाल पेश करती है।

रुचि कालरा और आशीष महापात्रा का परिचय

रुचि कालरा आशीष महापात्रा file photo
रुचि कालरा आशीष महापात्रा file photo

रुचि कालरा और आशीष महापात्रा दोनों ही अपनी-अपनी जगह बेहद सफल और बुद्धिमान व्यक्तित्व के धनी हैं। रुचि कालरा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आईआईटी दिल्ली से की, जहाँ से उन्होंने बीटेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (ISB) से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। ये दोनों ही शैक्षणिक संस्थान भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक हैं, और यहाँ से शिक्षा प्राप्त करना स्वयं में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

रुचि ने अपनी पेशेवर यात्रा की शुरुआत मैकिन्से से की, जहाँ उन्होंने आठ साल से अधिक का समय बिताया। मैकिन्से में काम करते हुए रुचि ने उद्योग के विभिन्न पहलुओं को समझा और एक व्यावसायिक दृष्टिकोण विकसित किया। उनके इस अनुभव ने आगे चलकर उनके उद्यमी बनने की नींव रखी।

आशीष महापात्रा, रुचि के पति, भी एक बेहद प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं, जिन्होंने रुचि के साथ मिलकर उनके उद्यमिता के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों ने एक-दूसरे का सहयोग किया और एक साझा लक्ष्य की दिशा में काम किया, जिसने उनकी यात्रा को और भी मजबूत बनाया।

पहला स्टार्टअप: ऑफबिजनेस की स्थापना

साल 2015 में, रुचि कालरा और आशीष महापात्रा ने एक नए सफर की शुरुआत की। इस बार उनकी मंजिल थी एक सफल उद्यम का निर्माण। उन्होंने मिलकर एक बी-टू-बी प्लेटफॉर्म की स्थापना की, जिसका नाम रखा गया “ऑफबिजनेस”। ऑफबिजनेस का लक्ष्य था कच्चा माल और औद्योगिक आपूर्ति बेचने वाले व्यवसायों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म प्रदान करना, जहाँ से वे अपनी ज़रूरतों को आसानी से पूरा कर सकें।

शुरुआत में यह यात्रा आसान नहीं थी। रुचि और आशीष ने न केवल नए बाजारों को समझने का प्रयास किया, बल्कि अपने प्लेटफॉर्म को विश्वसनीय बनाने के लिए कड़ी मेहनत भी की। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें लगता था कि शायद उनका यह विचार सफल नहीं होगा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

ऑफबिजनेस की नींव रखते समय, रुचि और आशीष ने यह सुनिश्चित किया कि वे अपने ग्राहकों को सबसे बेहतरीन सेवाएं प्रदान करें। उनकी यह सोच और मेहनत जल्द ही रंग लाई। कंपनी ने धीरे-धीरे बाजार में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। ऑफबिजनेस का विस्तार हुआ, और यह कंपनी 44,000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन तक पहुँच गई।

दूसरा स्टार्टअप: ऑक्सीज़ो फाइनेंशियल सर्विसेज़

ऑफबिजनेस की सफलता के बाद, रुचि और आशीष ने एक और नया कदम उठाया। इस बार उनका लक्ष्य था अपने ग्राहकों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना। साल 2017 में, उन्होंने ऑक्सीज़ो फाइनेंशियल सर्विसेज़ की स्थापना की। ऑक्सीज़ो का उद्देश्य था उन व्यवसायों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना, जो ऑफबिजनेस के प्लेटफॉर्म से उत्पाद खरीदते थे।

ऑक्सीज़ो का आदर्श वाक्य बेहद सरल था – “हर लेनदेन से लाभ निकालना”। यह वाक्य कंपनी के हर पहलू में झलकता था। उनकी टीम ने यह सुनिश्चित किया कि वे अपने ग्राहकों को सबसे बेहतर सेवाएं प्रदान करें, और इस सोच ने ऑक्सीज़ो को भी सफलता की ओर अग्रसर किया।

2021 में, ऑक्सीज़ो का रेवेन्यू 197.53 करोड़ रुपये था, जो अगले साल बढ़कर 312.97 करोड़ रुपये हो गया। इसी अवधि में कंपनी का मुनाफा 60.34 करोड़ रुपये तक पहुँच गया, जो पिछले साल 39.94 करोड़ रुपये था। यह वित्तीय प्रदर्शन दर्शाता है कि कैसे ऑक्सीज़ो ने अपनी सेवाओं को लगातार सुधारते हुए सफलता की ओर कदम बढ़ाए।

निवेशकों की चुनौती: 73 बार अस्वीकृति के बाद सफलता

सफलता की राह में कई चुनौतियाँ आती हैं, और रुचि कालरा और आशीष महापात्रा ने भी इसका सामना किया। 2016 में एक इंटरव्यू के दौरान, उन्होंने बताया था कि जब वे अपने आइडिया को निवेशकों के सामने पेश कर रहे थे, तो 73 निवेशकों ने उनके आइडिया को रिजेक्ट कर दिया था। यह एक बेहद निराशाजनक समय था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

रुचि और आशीष को पता था कि उन्हें अपनी कंपनी स्थापित करने के लिए सिर्फ एक निवेशक की जरूरत है, जो उनके आइडिया पर विश्वास कर सके। और आखिरकार उन्हें वह एक निवेशक मिल ही गया, जिसने उनके आइडिया को समर्थन दिया। यह वह मोड़ था, जिसने उनकी पूरी यात्रा को बदल दिया।

दो यूनिकॉर्न्स का निर्माण

रुचि और आशीष की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें वह मुकाम दिलाया, जो बहुत कम लोग हासिल कर पाते हैं। ऑफबिजनेस और ऑक्सीज़ो दोनों ही कंपनियाँ यूनिकॉर्न बन चुकी हैं। एक यूनिकॉर्न वह कंपनी होती है, जिसकी वैल्यूएशन एक बिलियन डॉलर या उससे अधिक होती है। भारत में ऐसी कंपनियों की संख्या बेहद कम है, और रुचि और आशीष का इस सूची में शामिल होना एक बड़ी उपलब्धि है।

ऑफबिजनेस और ऑक्सीज़ो की सफलता के बाद, रुचि और आशीष भारत के पहले कपल बन गए, जिन्होंने दो यूनिकॉर्न कंपनियों का मालिकाना हक़ हासिल किया है। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो न केवल उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है, बल्कि उनकी दूरदर्शिता और उत्कृष्ट प्रबंधन कौशल का भी प्रमाण है।

सबक और प्रेरणा

रुचि कालरा और आशीष महापात्रा की कहानी सिर्फ़ एक बिजनेस सक्सेस स्टोरी नहीं है, बल्कि यह उन सबक से भरी हुई है, जो हर उद्यमी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उनके अनुभव से कुछ महत्वपूर्ण बातें सीखी जा सकती हैं:

आत्मविश्वास और धैर्य : 73 बार रिजेक्ट होने के बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने आत्मविश्वास को बनाए रखा और धैर्य से काम लिया। यह एक महत्वपूर्ण सबक है, जो दर्शाता है कि अगर आपके पास आत्मविश्वास है, तो आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

असफलताओं से सीख : उन्होंने असफलताओं को अपने रास्ते का अंत नहीं माना, बल्कि उसे एक सीख के रूप में लिया। उन्होंने हर अस्वीकृति से कुछ नया सीखा और उसे अपनी रणनीति में शामिल किया।

भविष्य के लिए दृष्टिकोण: उनके भविष्य के दृष्टिकोण ने उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने हमेशा आगे की सोच रखी और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट योजना बनाई।

निष्कर्ष

रुचि कालरा और आशीष महापात्रा की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाती है कि अगर आपमें आत्मविश्वास, धैर्य, और मेहनत करने का जज़्बा है, तो आप किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं और सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं। उनके संघर्ष और सफलता की यह कहानी न केवल उद्यमियों के लिए, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में एक प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।

यह कहानी उन सभी लोगों के लिए है, जो किसी भी परिस्थिति में हार मानने को तैयार नहीं हैं और जो अपने सपनों को साकार करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। रुचि कालरा और आशीष महापात्रा की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन अगर आपमें दृढ़ संकल्प है, तो आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।

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