GRAP ,दिल्ली और एनसीआर (नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद) की हवा पिछले कुछ सालों से इतनी खराब हो गई है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। हर सर्दी में प्रदूषण का लेवल इतना बढ़ जाता है कि सरकार को खास कदम उठाने पड़ते हैं। इसी प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए एक सिस्टम बनाया गया है, जिसका नाम है GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान)। चलिए इसे एकदम आसान शब्दों में समझते हैं।
1. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) क्या है?
एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI हवा की गुणवत्ता बताने वाला एक नंबर है। यह हमें बताता है कि हमारी हवा सांस लेने के लिए कितनी अच्छी या खराब है। इसे 0 से 500 तक के स्केल पर मापा जाता है।
- 0-50: हवा एकदम साफ (बहुत अच्छी)
- 51-100: ठीक-ठाक (सांस के लिए सुरक्षित)
- 101-200: हल्की खराब (खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए)
- 201-300: खराब (सांस की दिक्कत शुरू हो सकती है)
- 301-400: बहुत खराब (सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन)
- 401-500: खतरनाक (हवा में जहर जैसा महसूस होगा)
2. GRAP क्या है और क्यों बनाया गया?
GRAP यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान। यह एक प्लान है, जो दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए बनाया गया। यह हवा के खराब होने के अलग-अलग लेवल पर लागू होता है। जैसे-जैसे हवा खराब होती है, GRAP के नियम सख्त होते जाते हैं।
इसे आप ऐसे समझिए जैसे डॉक्टर आपको बीमारी के हिसाब से दवा देता है। अगर बीमारी हल्की है, तो हल्की दवा; लेकिन अगर बीमारी बढ़ जाती है, तो डॉक्टर सख्त दवा देता है। इसी तरह GRAP भी हवा की खराबी के लेवल पर सख्त नियम लागू करता है।
3. GRAP के अलग-अलग चरण
GRAP को चार चरणों में बांटा गया है। हर चरण में अलग-अलग नियम लागू किए जाते हैं।
(1) चरण 1 (AQI: 201-300)
जब हवा “खराब” श्रेणी में होती है।
क्या होता है:
- सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाता है ताकि धूल कम उड़े।
- कचरा जलाने पर रोक लगती है।
- निर्माण कार्य में ध्यान दिया जाता है कि धूल न फैले।
(2) चरण 2 (AQI: 301-400)
जब हवा “बहुत खराब” हो जाती है।
क्या होता है:
- डीजल जनरेटर पर रोक लगती है।
- निर्माण और तोड़-फोड़ के काम को सीमित कर दिया जाता है।
- कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल कम किया जाता है।
(3) चरण 3 (AQI: 401-450)
जब हवा “गंभीर” हो जाती है।
क्या होता है:
- ईंट भट्टों, स्टोन क्रशर और कोयला-आधारित उद्योगों को बंद कर दिया जाता है।
- सरकारी और प्राइवेट ऑफिसों को घर से काम करने की सलाह दी जाती है।
- ट्रकों का दिल्ली में प्रवेश बंद किया जाता है (सिर्फ जरूरी सामान वाले ट्रकों को छोड़कर)।
(4) चरण 4 (AQI: 450+ और ऊपर)
जब हवा “खतरनाक” हो जाती है।
क्या होता है:
- निर्माण कार्य पर पूरी तरह रोक।
- स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए जाते हैं।
- दिल्ली में सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलने दी जाती हैं।
- डीजल की गाड़ियों पर पूरी तरह से बैन लग जाता है।
4. GRAP के जरिए प्रदूषण को कैसे कंट्रोल किया जाता है?
GRAP का मकसद यह है कि जैसे ही हवा खराब होनी शुरू हो, तुरंत कदम उठाए जाएं।
- अगर प्रदूषण बढ़ रहा है, तो सबसे पहले कचरा जलाने पर रोक लगती है।
- जब स्थिति ज्यादा बिगड़ती है, तो बड़ी मशीनें बंद की जाती हैं, ट्रक अंदर आने से रोके जाते हैं।
- अगर हालात खतरनाक हो जाते हैं, तो स्कूल बंद और निर्माण कार्य भी बंद कर दिए जाते हैं।
इसका फायदा यह होता है कि हालात और बिगड़ने से पहले ही कंट्रोल करने की कोशिश होती है।
5. वायु प्रदूषण क्यों बढ़ता है?
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ने की कई वजहें हैं:
- पराली जलाना: हर साल सर्दियों में पड़ोसी राज्यों (पंजाब, हरियाणा) में खेतों में पराली जलाई जाती है, जिससे धुआं दिल्ली की हवा में मिल जाता है।
- वाहनों का धुआं: यहां लाखों गाड़ियां हर रोज चलती हैं, जो सबसे बड़ा प्रदूषण का कारण हैं।
- निर्माण कार्य: सड़कों और इमारतों का निर्माण होता रहता है, जिससे धूल उड़ती है।
- फैक्ट्रियां और उद्योग: फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी वायु को खराब करता है।
- दीवाली के पटाखे: दीवाली पर पटाखों का धुआं भी हवा को खतरनाक बना देता है।
6. GRAP कितना सफल है?
GRAP से प्रदूषण को कंट्रोल करने की कोशिश होती है, लेकिन पूरी तरह सफल नहीं हो पाता। इसकी कुछ वजहें हैं:
- नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती।
- पराली जलाने पर अभी भी पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है।
- लोग अपने वाहनों का इस्तेमाल कम करने को तैयार नहीं होते।
- प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा है कि GRAP के उपाय काफी नहीं पड़ते।
7. आम आदमी क्या कर सकता है?
सरकार के साथ-साथ जनता की भी जिम्मेदारी है कि वह प्रदूषण कम करने में मदद करे।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें: जितना हो सके, मेट्रो, बस या कारपूल का इस्तेमाल करें।
- पेड़ लगाएं: ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर हवा को साफ रखने में मदद करें।
- कचरा न जलाएं: घर या बाहर कचरा जलाने से बचें।
- पटाखों से बचें: पटाखे न जलाएं, इससे प्रदूषण बढ़ता है।
- गाड़ी की सर्विस कराएं: गाड़ियों की समय-समय पर सर्विस कराएं ताकि उनसे कम धुआं निकले।
निष्कर्ष
GRAP एक अच्छा प्लान है, लेकिन इसे तभी पूरी तरह सफल बनाया जा सकता है जब सरकार और जनता दोनों मिलकर काम करें। हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए हमें छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे, ताकि दिल्ली और एनसीआर में लोग साफ हवा में सांस ले सकें। याद रखें, साफ हवा हर इंसान का हक है, और इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
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