देश में फर्जी डिग्रियां बेचने वाली यूनिवर्सिटीज का बड़ा खुलासा, शिक्षा मंत्रालय ने दी जानकारी

फर्जी डिग्रियां बेचने वाली यूनिवर्सिटीज

फर्जी डिग्रियां बेचने वाली यूनिवर्सिटीज  जी हा आपने सही पढ़ा देश की कई प्राइवेट यूनिवर्सिटीज पर फर्जी डिग्रियां बेचने का गंभीर आरोप लगा है।लगातार हमें अलग-अलग न्यूज़पेपर में न्यूज़ चैनलों पर फर्जी डिग्रियों के खुलासे सुनने को मिलते हैं अब ऑफिशियल तौर पर यह खुलासा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में किया। इस सवाल में पूछा गया था कि क्या कुछ प्राइवेट यूनिवर्सिटीज फेक डिग्रियां बेच रही हैं और अगर हां, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। मंत्रालय ने इसका जवाब हां में दिया और कई ऐसी यूनिवर्सिटीज के नामों का खुलासा किया, जिन पर इस तरह की शिकायतें आई हैं।

संसद में पूछा गया सवालफर्जी डिग्रियां बेचने वाली यूनिवर्सिटीज

संसद में यह सवाल पूछा गया था कि क्या यह सच है कि देश की कुछ प्राइवेट यूनिवर्सिटीज फर्जी डिग्रियां बेच रही हैं? इसके जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्वीकार किया कि कुछ यूनिवर्सिटीज पर यह आरोप सही हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का बयान

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि यूजीसी (University Grants Commission) को केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के जरिए कुछ प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों में आरोप है कि ये यूनिवर्सिटीज फर्जी पीएचडी डिग्रियां बेच रही हैं। मंत्रालय ने इन शिकायतों की जांच के लिए संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं।

शिकायतें किस-किस यूनिवर्सिटी के खिलाफ आईं?

मंत्रालय ने जिन यूनिवर्सिटीज के खिलाफ शिकायतों का उल्लेख किया, उनमें मुख्य रूप से राजस्थान राज्य की कई यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। यहां तक कि कुछ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड की यूनिवर्सिटीज के खिलाफ भी शिकायतें मिली हैं। इन यूनिवर्सिटीज के नाम इस प्रकार हैं:

  1. ओपीजेएस विश्वविद्यालय, राजस्थान
  2. प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, राजस्थान
  3. माधव विश्वविद्यालय, राजस्थान
  4. रैफल्स विश्वविद्यालय, राजस्थान
  5. सिंघानिया विश्वविद्यालय, राजस्थान
  6. श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
  7. मंगलायतन विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
  8. श्री सत्य साईं प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश
  9. नाथ विश्वविद्यालय, झारखंड
  10. क्वांटम विश्वविद्यालय, उत्तराखंड

राज्यवार स्थिति

इस लिस्ट में अगर देखा जाए तो सबसे ज्यादा शिकायतें राजस्थान की यूनिवर्सिटीज के खिलाफ आई हैं। इनमें से पांच यूनिवर्सिटीज राजस्थान की हैं, जो कुल 50 प्रतिशत हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की दो, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड की एक-एक यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी शिकायतें मिली हैं।

किस राज्य ने क्या कदम उठाया?

राजस्थान सरकार ने इन शिकायतों पर एक्शन लेते हुए ओपीजेएस विश्वविद्यालय को शैक्षणिक सत्र 2024-25 से नए छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा, यूनिवर्सिटी को यूजीसी के निर्देशों के बाद दिसंबर 2023 से पीएचडी के लिए नामांकन लेने से भी रोक दिया गया है।

यूजीसी की कार्रवाई

यूजीसी ने इन यूनिवर्सिटीज पर कार्रवाई करते हुए पीएचडी डिग्री देने की प्रक्रिया पर कड़ी निगरानी रखने के लिए एक स्थायी समिति का गठन किया है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी यूनिवर्सिटी यूजीसी के नियमों का उल्लंघन न करे और डिग्रियां देने के सही प्रक्रिया का पालन करे।

राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया

हालांकि, कुछ राज्य सरकारों ने इन आरोपों को नकारा भी किया है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड सरकार ने क्वांटम विश्वविद्यालय पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि आरोप बेबुनियाद हैं। इसी तरह, मध्य प्रदेश सरकार ने श्री सत्य साईं प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के खिलाफ लगाए गए आरोपों को नकारा है।

निष्कर्ष

यह मामला देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर चिंता का विषय बन गया है। फर्जी डिग्रियां बेचने की घटना न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है, बल्कि शिक्षा के पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है। ऐसे में सरकार को इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी, ताकि छात्रों और उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके।

केंद्र और राज्य सरकारें इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच की प्रक्रिया तेज कर रही हैं, ताकि दोषी यूनिवर्सिटीज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके और छात्रों का शोषण रुक सके।

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