नोएडा के जिलाधिकारी के ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) हैंडल से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने राजनीतिक माहौल में भूचाल ला दिया है। राहुल गांधी पर अभद्र टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं, जिससे बवाल मच गया है। डीएम के अकाउंट से की गई इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी, वहीं जिलाधिकारी ने इसे “हैकिंग” का मामला बताया और एफआईआर दर्ज कराई गई है।
मामला क्या है?
दरअसल, कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने अपने एक्स हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसके जवाब में गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा के एक्स हैंडल से सुप्रिया श्रीनेत और राहुल गांधी पर अभद्र टिप्पणी की गई। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई, और कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई। हम स्क्रीनशॉट अटैच कर रहे हैं जिससे आपदेख कर पता लगा सकते है कि सुप्रिया श्रीनेत ने क्या पोस्ट की थी ? जिसके जवाब में नोएडा डीएम के एक्स हैंडल से टिप्पणी की गई
नोएडा डीएम की टिप्पणी पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस विवाद पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने डीएम के इस कृत्य को अस्वीकार्य बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीतिकरण दिखाती हैं। “पिछले 10 सालों में, भारत की नौकरशाही का राजनीतिकरण तेज़ी से बढ़ा है। डीएम जैसे उच्च पद पर बैठे अधिकारी अगर इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करेंगे, तो यह बहुत ही निंदनीय है,” रमेश ने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरदार पटेल ने कभी भारतीय सिविल सेवा को ‘स्टील फ्रेम’ कहा था, लेकिन अब इसे कमजोर और राजनीतिक रूप से पक्षपाती बनाने की कोशिश की जा रही है।
सुप्रिया श्रीनेत की नाराजगी
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए डीएम पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “यह बेहद शर्मनाक है कि डीएम जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी टिप्पणियां की जा रही हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि संघी मानसिकता अब प्रशासन में भी हावी हो चुकी है।”
डीएम की सफाई
विवाद बढ़ने के बाद, नोएडा के डीएम मनीष वर्मा ने सफाई दी कि उनका एक्स अकाउंट हैक हो गया था और यह टिप्पणी उनके द्वारा नहीं की गई थी। उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज कराई और साइबर सेल को जांच सौंपी गई है। डीएम वर्मा ने कहा कि वे खुद इस मामले की जांच करवा रहे हैं ताकि यह साफ हो सके कि उनका अकाउंट किसने और क्यों हैक किया।
एफआईआर दर्ज, जांच जारी
जिलाधिकारी के एक्स हैंडल से जानकारी दी गई कि किसी असामाजिक तत्व ने उनके अकाउंट का दुरुपयोग करते हुए राहुल गांधी और सुप्रिया श्रीनेत पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। यह गंभीर मामला है और प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज कराई। साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है और अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस हैकिंग के पीछे कौन था और उसकी मंशा क्या थी।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस विवाद के बाद सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोग डीएम के समर्थन में उतर आए और कहा कि डीएम एक ईमानदार अधिकारी हैं और उनके खिलाफ की गई टिप्पणियां गलत हैं। महंत राजूदास ने कहा, “कांग्रेस जिस तरह से एक ईमानदार अधिकारी पर निशाना साध रही है, वह बेहद निंदनीय है। डीएम साहब का अकाउंट हैक हुआ होगा, जैसा कि पहले भी कई बार हो चुका है।”
प्रशासनिक अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव?
इस विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि क्या प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं? कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि “अगर प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दबाव में आकर काम करेंगे, तो विपक्षी नेताओं और आम जनता को न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है?”
शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई और जिलाधिकारी को “बिकाऊ” कहा। उन्होंने सुप्रिया श्रीनेत की तारीफ करते हुए कहा कि “वह प्रशासनिक अधिकारियों को उनके सही स्थान पर रखने में सक्षम हैं।”
मामला क्या कहता है?
इस पूरी घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि प्रशासनिक अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? क्या वाकई अधिकारी अब राजनीतिक दबाव में आकर अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं?
नोएडा डीएम के मामले में जो सबसे अहम बात है, वह यह कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के अकाउंट से इस प्रकार की अभद्र टिप्पणियां होना कितनी गंभीर बात है। इस मामले में जिलाधिकारी की सफाई के बाद भी सवाल बरकरार हैं कि अगर उनका अकाउंट वाकई हैक हुआ था, तो यह कैसे हुआ?
क्या कहती है साइबर सुरक्षा?
साइबर अपराधियों के लिए हाई-प्रोफाइल अकाउंट्स को निशाना बनाना कोई नई बात नहीं है। भारत में कई बार राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और यहां तक कि सेलिब्रिटीज के सोशल मीडिया अकाउंट्स हैक किए गए हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हमारे देश में साइबर सुरक्षा की व्यवस्था पर्याप्त है? नोएडा डीएम का अकाउंट अगर वाकई हैक हुआ है, तो यह साइबर सुरक्षा में एक बड़ी चूक को दर्शाता है।
यह भी पढ़ें – महाराष्ट्र की सोशल मीडिया एक्टिविस्ट सना अंसारी की पैदल हज यात्रा का गाजियाबाद में हिंदू जागरण मंच का विरोध, जानिए क्या हुआ था
आगे क्या होगा?
फिलहाल साइबर सेल इस मामले की जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले की सच्चाई सामने आएगी। अगर यह वाकई हैकिंग का मामला है, तो साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अगर यह मामला कुछ और है, तो इससे प्रशासनिक अधिकारियों की निष्पक्षता और उनकी राजनीतिक संबद्धता पर सवाल उठेंगे।
आम आदमी के लिए इस पूरे मामले से यह समझना जरूरी है कि प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी क्या है और उन्हें किस प्रकार से अपने पद का उपयोग करना चाहिए। जनता का विश्वास तभी मजबूत होगा, जब प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दबावों से मुक्त होकर निष्पक्ष तरीके से काम करेंगे।
निष्कर्ष
नोएडा डीएम मनीष वर्मा के एक्स अकाउंट से हुई इस विवादित टिप्पणी ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे प्रशासनिक अधिकारी अब राजनीतिक विवादों में उलझने लगे हैं? चाहे यह हैकिंग का मामला हो या किसी अन्य कारण से हुई गलती, इस तरह की घटनाएं प्रशासनिक व्यवस्था पर लोगों का भरोसा कम करती हैं। अब यह देखना होगा कि साइबर सेल की जांच से क्या खुलासे होते हैं और इस मामले का अंत किस रूप में होता है।
नोएडा डीएम के एक्स अकाउंट से राहुल गांधी पर अभद्र टिप्पणी, विवाद बढ़ा, एफआईआर दर्ज, जानिए क्या है पूरा मामला
नोएडा के जिलाधिकारी के ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) हैंडल से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने राजनीतिक माहौल में भूचाल ला दिया है। राहुल गांधी पर अभद्र टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं, जिससे बवाल मच गया है। डीएम के अकाउंट से की गई इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी, वहीं जिलाधिकारी ने इसे “हैकिंग” का मामला बताया और एफआईआर दर्ज कराई गई है।
मामला क्या है?
दरअसल, कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने अपने एक्स हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसके जवाब में गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा के एक्स हैंडल से सुप्रिया श्रीनेत और राहुल गांधी पर अभद्र टिप्पणी की गई। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई, और कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई। हम स्क्रीनशॉट अटैच कर रहे हैं जिससे आपदेख कर पता लगा सकते है कि सुप्रिया श्रीनेत ने क्या पोस्ट की थी ? जिसके जवाब में नोएडा डीएम के एक्स हैंडल से टिप्पणी की गई
नोएडा डीएम की टिप्पणी पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस विवाद पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने डीएम के इस कृत्य को अस्वीकार्य बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीतिकरण दिखाती हैं। “पिछले 10 सालों में, भारत की नौकरशाही का राजनीतिकरण तेज़ी से बढ़ा है। डीएम जैसे उच्च पद पर बैठे अधिकारी अगर इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करेंगे, तो यह बहुत ही निंदनीय है,” रमेश ने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरदार पटेल ने कभी भारतीय सिविल सेवा को ‘स्टील फ्रेम’ कहा था, लेकिन अब इसे कमजोर और राजनीतिक रूप से पक्षपाती बनाने की कोशिश की जा रही है।
सुप्रिया श्रीनेत की नाराजगी
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए डीएम पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “यह बेहद शर्मनाक है कि डीएम जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी टिप्पणियां की जा रही हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि संघी मानसिकता अब प्रशासन में भी हावी हो चुकी है।”
डीएम की सफाई
विवाद बढ़ने के बाद, नोएडा के डीएम मनीष वर्मा ने सफाई दी कि उनका एक्स अकाउंट हैक हो गया था और यह टिप्पणी उनके द्वारा नहीं की गई थी। उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज कराई और साइबर सेल को जांच सौंपी गई है। डीएम वर्मा ने कहा कि वे खुद इस मामले की जांच करवा रहे हैं ताकि यह साफ हो सके कि उनका अकाउंट किसने और क्यों हैक किया।
एफआईआर दर्ज, जांच जारी
जिलाधिकारी के एक्स हैंडल से जानकारी दी गई कि किसी असामाजिक तत्व ने उनके अकाउंट का दुरुपयोग करते हुए राहुल गांधी और सुप्रिया श्रीनेत पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। यह गंभीर मामला है और प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज कराई। साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है और अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस हैकिंग के पीछे कौन था और उसकी मंशा क्या थी।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस विवाद के बाद सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोग डीएम के समर्थन में उतर आए और कहा कि डीएम एक ईमानदार अधिकारी हैं और उनके खिलाफ की गई टिप्पणियां गलत हैं। महंत राजूदास ने कहा, “कांग्रेस जिस तरह से एक ईमानदार अधिकारी पर निशाना साध रही है, वह बेहद निंदनीय है। डीएम साहब का अकाउंट हैक हुआ होगा, जैसा कि पहले भी कई बार हो चुका है।”
प्रशासनिक अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव?
इस विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि क्या प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं? कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि “अगर प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दबाव में आकर काम करेंगे, तो विपक्षी नेताओं और आम जनता को न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है?”
शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई और जिलाधिकारी को “बिकाऊ” कहा। उन्होंने सुप्रिया श्रीनेत की तारीफ करते हुए कहा कि “वह प्रशासनिक अधिकारियों को उनके सही स्थान पर रखने में सक्षम हैं।”
मामला क्या कहता है?
इस पूरी घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि प्रशासनिक अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? क्या वाकई अधिकारी अब राजनीतिक दबाव में आकर अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं?
नोएडा डीएम के मामले में जो सबसे अहम बात है, वह यह कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के अकाउंट से इस प्रकार की अभद्र टिप्पणियां होना कितनी गंभीर बात है। इस मामले में जिलाधिकारी की सफाई के बाद भी सवाल बरकरार हैं कि अगर उनका अकाउंट वाकई हैक हुआ था, तो यह कैसे हुआ?
क्या कहती है साइबर सुरक्षा?
साइबर अपराधियों के लिए हाई-प्रोफाइल अकाउंट्स को निशाना बनाना कोई नई बात नहीं है। भारत में कई बार राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और यहां तक कि सेलिब्रिटीज के सोशल मीडिया अकाउंट्स हैक किए गए हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या हमारे देश में साइबर सुरक्षा की व्यवस्था पर्याप्त है? नोएडा डीएम का अकाउंट अगर वाकई हैक हुआ है, तो यह साइबर सुरक्षा में एक बड़ी चूक को दर्शाता है।
यह भी पढ़ें – महाराष्ट्र की सोशल मीडिया एक्टिविस्ट सना अंसारी की पैदल हज यात्रा का गाजियाबाद में हिंदू जागरण मंच का विरोध, जानिए क्या हुआ था
आगे क्या होगा?
फिलहाल साइबर सेल इस मामले की जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले की सच्चाई सामने आएगी। अगर यह वाकई हैकिंग का मामला है, तो साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अगर यह मामला कुछ और है, तो इससे प्रशासनिक अधिकारियों की निष्पक्षता और उनकी राजनीतिक संबद्धता पर सवाल उठेंगे।
आम आदमी के लिए इस पूरे मामले से यह समझना जरूरी है कि प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी क्या है और उन्हें किस प्रकार से अपने पद का उपयोग करना चाहिए। जनता का विश्वास तभी मजबूत होगा, जब प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दबावों से मुक्त होकर निष्पक्ष तरीके से काम करेंगे।
निष्कर्ष
नोएडा डीएम मनीष वर्मा के एक्स अकाउंट से हुई इस विवादित टिप्पणी ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे प्रशासनिक अधिकारी अब राजनीतिक विवादों में उलझने लगे हैं? चाहे यह हैकिंग का मामला हो या किसी अन्य कारण से हुई गलती, इस तरह की घटनाएं प्रशासनिक व्यवस्था पर लोगों का भरोसा कम करती हैं। अब यह देखना होगा कि साइबर सेल की जांच से क्या खुलासे होते हैं और इस मामले का अंत किस रूप में होता है।
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