Edited by Zulfam Tomar
24 अगस्त 2024 को, मोदी कैबिनेट ने केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन स्कीम, यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS), को मंजूरी दी। इस निर्णय को मोदी सरकार की एक और बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है। UPS 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी और यह लगभग 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करेगी जो 2004 के बाद से रिटायर हुए हैं। इसके साथ ही, कर्मचारियों को अब NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) या UPS में से एक को चुनने का विकल्प मिलेगा।
UPS का उद्देश्य और लाभ: एक परिचय
UPS स्कीम के तहत, यदि कोई कर्मचारी 25 साल तक काम करता है, तो उसे पेंशन के रूप में उसकी रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों की एवरेज बेसिक पे का 50% मिलेगा। यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार के लिए फैमिली पेंशन का प्रावधान है। इस स्कीम के तहत, मृतक कर्मचारी की पेंशन का 60% हिस्सा उसके जीवनसाथी को मिलेगा। यदि कोई कर्मचारी 10 साल से कम समय के लिए सेवा देता है, तो उसे 10,000 रुपए प्रति माह की पेंशन मिलेगी। यदि सेवा अवधि 10 से 25 साल के बीच है, तो उसे समानुपातिक पेंशन दी जाएगी।
NPS और UPS: तुलना और अंतर
यहां NPS और UPS के बीच महत्वपूर्ण अंतर को समझना आवश्यक है। NPS में, कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी का 10% योगदान करना होता है, जबकि सरकार की तरफ से 14% योगदान किया जाता है। वहीं UPS में, कर्मचारी के योगदान में कोई बदलाव नहीं किया गया है; वह अपनी बेसिक सैलरी का 10% ही योगदान करेगा। लेकिन यहां एक महत्वपूर्ण बदलाव है— मोदी सरकार अब UPS में कर्मचारी की बेसिक सैलरी का साढ़े 18% योगदान करेगी। यह स्पष्ट रूप से UPS को एक बेहतर विकल्प बनाता है, खासकर उन कर्मचारियों के लिए जो लंबी सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं।
#WATCH | Union Minister Ashwini Vaishnaw says, “Today the Union Cabinet has approved Unified Pension Scheme (UPS) for government employees providing for the assured pension…50% assured pension is the first pillar of the scheme…second pillar will be assured family… pic.twitter.com/HmYKThrCZV
— ANI (@ANI) August 24, 2024
UPS: लाभ या धोखा?
सरकार की ओर से UPS की घोषणा के बाद, इसे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या वाकई यह स्कीम कर्मचारियों के लिए लाभकारी है, या फिर यह सिर्फ एक और जाल है?
आर्थिक बोझ और सरकारी खजाने पर दबाव
इस नए पेंशन सिस्टम के तहत, सरकार को UPS में NPS से अधिक योगदान करना पड़ेगा। NPS में जहां सरकार 14% योगदान करती थी, वहीं UPS में यह बढ़कर 18.5% हो गया है। इससे स्पष्ट है कि सरकारी खजाने पर बड़ा दबाव पड़ेगा। ऐसे समय में जब भारत की अर्थव्यवस्था धीमी गति से बढ़ रही है और सरकारी राजस्व की स्थिति कमजोर है, यह नया बोझ सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
राजनीतिक उद्देश्य और लोकलुभावन घोषणाएं
यह देखा गया है कि कई बार सरकारें ऐसे निर्णय लेती हैं जिनका उद्देश्य केवल तत्काल राजनीतिक लाभ होता है। UPS की घोषणा भी इसी दिशा में एक कदम हो सकता है। आगामी चुनावों को देखते हुए, यह निर्णय कर्मचारियों को खुश करने और उनके वोट बटोरने के लिए लिया गया हो सकता है। ऐसे में, UPS को एक सुदृढ़ और दीर्घकालिक नीति के रूप में देखने के बजाय, इसे एक तात्कालिक राजनीतिक लाभ का साधन समझा जा सकता है।
पेंशन प्रणाली में स्थिरता और दीर्घकालिक सुरक्षा
UPS की तुलना में, NPS एक स्थिर और दीर्घकालिक पेंशन समाधान के रूप में देखा जा सकता है। NPS में कर्मचारियों को उनकी सेवाओं के आधार पर एक निश्चित राशि मिलती है, जबकि UPS में सरकार की ओर से किए जाने वाले उच्च योगदान के बावजूद, यह प्रश्न उठता है कि क्या यह स्कीम दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ होगी? क्या UPS सरकार के लिए एक स्थायी समाधान हो सकता है, या फिर इसे भी भविष्य में संशोधन की आवश्यकता होगी?
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कर्मचारी के योगदान का मूल्यांकन
UPS के तहत कर्मचारी को NPS की तुलना में अधिक लाभ मिल सकता है, लेकिन क्या यह सरकार के द्वारा निर्धारित उच्च योगदान के आधार पर टिकाऊ है? UPS के तहत कर्मचारियों का योगदान जस का तस रहा है, जबकि सरकार ने अपने हिस्से को बढ़ाया है। लेकिन अगर किसी कारणवश सरकार के खजाने पर दबाव बढ़ता है, तो क्या यह संभव है कि इस स्कीम में भी कटौती की जाए?
UPS और निजी क्षेत्र: एक तुलनात्मक दृष्टिकोण
सरकारी कर्मचारियों के लिए UPS एक नई और आकर्षक पेंशन योजना हो सकती है, लेकिन क्या यह निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी समान रूप से फायदेमंद हो सकती है? यह तथ्य है कि निजी क्षेत्र में कर्मचारियों के पास पेंशन के ऐसे विकल्प नहीं होते हैं। NPS और UPS जैसे स्कीम्स केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए ही लागू होती हैं। इस दृष्टिकोण से, यह निर्णय सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के बीच एक असमानता को जन्म दे सकता है।
निष्कर्ष
मोदी सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) एक नई पेंशन प्रणाली के रूप में सामने आई है, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए कई लाभ प्रदान करती है। लेकिन इसके साथ ही, यह महत्वपूर्ण है कि इस स्कीम के सभी पहलुओं का गहन विश्लेषण किया जाए। यह स्पष्ट है कि UPS ने कर्मचारियों के लिए अधिक लाभ प्रदान करने का वादा किया है, लेकिन क्या यह सरकार के लिए दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ है, यह समय ही बताएगा।
इसके साथ ही, इस स्कीम के राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। UPS की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कैसे लागू किया जाता है और क्या यह सरकारी कर्मचारियों के लिए वाकई में लाभकारी साबित होती है।
इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि इस नई स्कीम को कैसे देखा जाए—क्या यह एक स्थायी और दीर्घकालिक समाधान है, या फिर यह एक और लोकलुभावन घोषणा है जो केवल तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए की गई है? यह प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है। UPS की सफलता और इसकी स्थिरता केवल समय ही बता सकेगा।
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