Edited by Zulfam Tomar
हाल ही में, उत्तर प्रदेश के आगरा में साइबर अपराधियों ने वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार गोयल को एक खौफनाक डिजिटल अरेस्ट का शिकार बना दिया। इस मामले में, अनिल कुमार गोयल ने 48 घंटे की अत्यंत डरावनी और तनावपूर्ण स्थिति का सामना किया, जिसमें वह हर पल मौत के बराबर महसूस कर रहे थे। यह मामला मनी लॉड्रिंग के संदर्भ में सीबीआई जांच और गिरफ्तारी के भय से जुड़ा था। साइबर अपराधियों ने गोयल से रकम ट्रांसफर करने का दबाव डाला और अंततः उनकी शिकायत साइबर क्राइम थाने में दर्ज की गई।
घटना का विवरण
अनिल कुमार गोयल, जो एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, को साइबर अपराधियों ने मनी लॉड्रिंग केस के संदर्भ में सीबीआई जांच और गिरफ्तारी के डर से 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। अपराधियों ने गोयल को टेलीकॉम कंपनी का प्रतिनिधि बनकर कॉल किया और उनके दस्तावेजों के गलत उपयोग का डर दिखाकर रकम ट्रांसफर करने का दबाव बनाया। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और आधार कार्ड, बैंक खाते की जानकारी मांगते हुए धमकाया।
अधिवक्ता ने कॉल के दौरान हर घंटे अपडेट देने की बात की और रात तक जानकारी भेजते रहे। 19 अगस्त को, कॉल करने वाले ने बताया कि उनके खाते में 67 लाख रुपये आए हैं और रकम ट्रांसफर करने का दबाव बनाया। इस दौरान बैंक बंद होने का लाभ उठाते हुए, गोयल ने अगले दिन ट्रांसफर करने की बात की। लेकिन जब डीसीपी बनने का दावा करते हुए एक अन्य कॉल आई, तो गोयल ने रकम ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कॉल कट गई।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक नए प्रकार की साइबर ठगी है जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति को घर में कैद कर देते हैं और उसे पुलिस या अन्य सरकारी विभागों के नाम पर धमकाते हैं। इसमें ठग पुलिस स्टेशन का बैकग्राउंड तैयार करते हैं, जिससे पीड़ित डर के मारे उनकी बातों में आ जाता है। ठग किसी अवैध गतिविधि के बारे में झूठा आरोप लगाते हैं और रकम वसूलने के लिए दबाव बनाते हैं। यह एक मानसिक और भावनात्मक शोषण का तरीका है जिससे पीड़ित को बहुत ही अधिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
साइबर अपराधियों के तरीकों की पहचान
1. फर्जी कॉल और वीडियो कॉल्स : साइबर ठग अक्सर पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर फर्जी कॉल करते हैं। वे खुद को उच्च पदस्थ अधिकारी बताकर आपको धमकाते हैं और आपके डेटा की चोरी करते हैं।
2. आधार कार्ड और बैंक विवरण की मांग : ठग अक्सर आपके आधार कार्ड और बैंक खातों की जानकारी मांगते हैं, जिसे वे बाद में अनधिकृत लेन-देन के लिए उपयोग करते हैं।
3. डर और धमकी : डिजिटल अरेस्ट के दौरान, ठग आपके परिवार के सदस्य या रिश्तेदार के साथ कुछ बुरा होने का डर दिखाकर आपको डराते हैं और रकम ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय
1. किसी भी अनजान कॉल या मैसेज पर ध्यान न दें : अगर आपको किसी अनजान नंबर से कॉल आती है या संदिग्ध मैसेज मिलता है, तो उसे नजरअंदाज करें। किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा इस तरह की कॉल नहीं की जाती हैं।
2. निजी जानकारी साझा करने से बचें : किसी भी अनजान व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार कार्ड नंबर, बैंक विवरण आदि न दें।
3. स्थानीय पुलिस से संपर्क करें : अगर आपको किसी प्रकार की धमकी मिलती है या आपको शक होता है कि आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं, तो तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करें।
4. साइबर हेल्पलाइन का उपयोग करें : 1930 नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर @cyberdost के जरिए भी शिकायत की जा सकती है।
5. अपने डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करें : अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें, अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें और थर्ड पार्टी ऐप्स डाउनलोड न करें।
साइबर अपराध की बढ़ती घटनाएं और उनके प्रभाव
साइबर अपराधियों द्वारा डिजिटल अरेस्ट जैसे तरीकों का उपयोग कर लोगों को मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान किया जाता है। इस प्रकार के अपराधों की वृद्धि ने समाज को एक नई चेतावनी दी है कि डिजिटल सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट तुरंत संबंधित अधिकारियों को करें।
निष्कर्ष
डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी की बढ़ती घटनाएं यह संकेत देती हैं कि समाज को साइबर सुरक्षा के प्रति अधिक सजग और जागरूक रहने की आवश्यकता है। इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए लोगों को चाहिए कि वे साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की रिपोर्ट तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें। इससे न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि समाज में साइबर अपराध की घटनाओं में भी कमी आएगी।