कैसे किया जा रहा था लोगों को शिकार
आरोपी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, खासतौर पर फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने ‘दी वैदिक आयुर्वेदिक’ नाम से एक फेसबुक पेज बनाया था। इस पेज पर वे स्वर्गीय डॉ. राजीव दीक्षित के नाम पर हर्बल दवाइयों का प्रचार करते थे। उनके विज्ञापन देखकर जब लोग पेज पर दिए गए फोन नंबरों पर कॉल करते थे या अपनी डिटेल्स भरते थे, तो कॉल सेंटर के कर्मचारी उनसे संपर्क करते थे।
इन कर्मचारियों का काम लोगों को हर्बल दवाइयों की फायदेमंद कहानियां सुनाकर उनसे ऑर्डर लेना था। जब ग्राहक ऑर्डर देते थे, तो उनसे पहले पैसे बैंक खातों में जमा कराए जाते थे। कई मामलों में ग्राहक को क्यूआर कोड और यूपीआई आईडी भेजकर ऑनलाइन पेमेंट के जरिए अतिरिक्त रकम भी ठगी जाती थी। ग्राहक को जो दवाइयां भेजी जाती थीं, वे नकली होती थीं।
ठगी के मास्टरमाइंड
पुलिस की जांच में सामने आया कि इस फर्जी कॉल सेंटर का संचालन अमनदीप और रंजीत नामक दो व्यक्ति कर रहे थे। ये दोनों आरोपी कई महीनों से इस धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे थे। उन्होंने अपने इस ठगी के कारोबार को अच्छे से संगठित कर रखा था। कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों को हर महीने 18 से 20 हजार रुपये की सैलरी दी जाती थी। इसके अलावा, ज्यादा बिक्री करने वाले कर्मचारियों को बोनस भी मिलता था।
जब पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की, तो उन्होंने बताया कि यह फर्जीवाड़ा पिछले नौ से दस महीनों से चल रहा था। इस दौरान उन्होंने सैकड़ों लोगों को ठगा और लाखों रुपये कमाए।
गिरफ्तारी और सबूत
गुरुग्राम पुलिस ने इस मामले में कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से दो लैपटॉप, चार मोबाइल फोन और बड़ी मात्रा में नकली हर्बल दवाइयां जब्त की गई हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 318, 319, 612BNS और आईटी एक्ट की धारा 66D के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस की अपील
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के हर्बल या आयुर्वेदिक उत्पाद खरीदते समय सतर्क रहें। खासकर सोशल मीडिया पर प्रचारित हो रहे ऐसे उत्पादों से सावधान रहें, जिनमें पेमेंट एडवांस करने की शर्त हो। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
फर्जी कॉल सेंटरों से बचने की सलाह
पुलिस द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन उत्पादों की खरीदारी करते समय हमेशा प्रामाणिक और भरोसेमंद वेबसाइट्स या कंपनियों पर ही भरोसा करें।
इस कार्रवाई ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर क्राइम और ऑनलाइन धोखाधड़ी किस तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में सतर्कता और जागरूकता ही बचाव का सबसे बड़ा तरीका है। यह भी पढ़े : बैंक कर्मचारी ने ही एक खाते से उड़ा दिये 12 करोड़ रुपये, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और Email बदलकर किया खेल