यूनिफाइड पेंशन स्कीम, न्यू पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम: कौन सी योजना आपके लिए सबसे उपयुक्त? जानिए सब कुछ

Edited by Zulfam Tomar 

भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन का मुद्दा हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। रिटायरमेंट के बाद एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने की चाहत में, सरकारी कर्मचारी हमेशा से एक विश्वसनीय पेंशन योजना की तलाश में रहे हैं। वर्तमान में, सरकारी कर्मचारियों के लिए तीन प्रमुख पेंशन योजनाएं उपलब्ध हैं: यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS), न्यू पेंशन स्कीम (NPS), और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS)। इन तीनों योजनाओं के अपने-अपने लाभ और सीमाएं हैं, और कर्मचारी के लिए कौन सी योजना सबसे उपयुक्त होगी, यह उसकी स्थिति, भविष्य की आवश्यकताओं और योजनाओं पर निर्भर करता है। इस लेख में, हम इन तीनों पेंशन योजनाओं के बीच के अंतर को विस्तार से समझेंगे और यह जानेंगे कि किस योजना में क्या प्रावधान हैं।

UPS vs OPS vs NPS पेंशन योजना
सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना – UPS, NPS, और OPS का तुलनात्मक विश्लेषण”

 यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS): एक नई पहल

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तावित यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना है। यह योजना न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के सर्वोत्तम पहलुओं को एकीकृत करके तैयार की गई है। UPS का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद अधिकतम वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। UPS की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन की राशि को अधिक स्थिर और निश्चित बनाती है, जिससे कर्मचारी अपने भविष्य के लिए बेफिक्र रह सकें।

 UPS के प्रमुख लाभ

1. पेंशन की राशि: UPS के तहत, रिटायरमेंट के समय कर्मचारी को उसकी अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। इसका मतलब है कि यदि किसी कर्मचारी की अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी ₹50,000 है, तो उसे प्रति महीने ₹25,000 की पेंशन मिलेगी। हालांकि, इस योजना का पूरा लाभ उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा जिन्होंने कम से कम 25 साल की नौकरी पूरी की हो। यदि किसी कर्मचारी ने 10 से 25 साल के बीच सेवा दी है, तो उसकी पेंशन की राशि उसी अनुपात में कम कर दी जाएगी।

2. फैमिली पेंशन: UPS के तहत, यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को पेंशन की 60% राशि तुरंत मिल जाएगी। यह प्रावधान इस योजना को और अधिक लाभकारी बनाता है, क्योंकि इससे कर्मचारियों के परिवार को आर्थिक सुरक्षा मिलती है।

3. न्यूनतम पेंशन: UPS में यह प्रावधान है कि यदि किसी कर्मचारी ने कम से कम 10 साल की सेवा पूरी कर ली है, तो उसे प्रति महीने न्यूनतम ₹10,000 की पेंशन मिलेगी। यह प्रावधान उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जिन्होंने कम सेवा अवधि के बावजूद पेंशन की आवश्यकता को महसूस किया है।

4. महंगाई भत्ता: UPS के तहत पेंशन को महंगाई भत्ते (Dearness Relief) के आधार पर समय-समय पर समायोजित किया जाएगा, जिससे पेंशनधारक महंगाई के प्रभाव से सुरक्षित रहेंगे। यह प्रावधान UPS को एक मजबूत और आकर्षक पेंशन योजना बनाता है।

5. अन्य लाभ: UPS में ग्रेच्युटी और एकमुश्त सुपरएनुएशन का भी प्रावधान है, जिससे रिटायर्ड कर्मचारी को एक अतिरिक्त वित्तीय सुरक्षा मिलती है। यह प्रावधान उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो रिटायरमेंट के बाद अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं।

 

UPS को क्यों बताया जा रहा है खास ?

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को एक स्थिर और सुरक्षित पेंशन प्रदान करना है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकती है जो अपनी सेवा के दौरान वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए पेंशन की आवश्यकता को महसूस करते हैं। UPS के तहत मिलने वाली पेंशन की राशि स्थिर होती है और यह कर्मचारी की अंतिम सैलरी के आधार पर निर्धारित की जाती है। इसके अलावा, UPS में फैमिली पेंशन और न्यूनतम पेंशन का प्रावधान भी इसे एक आकर्षक विकल्प बनाता है।

यह भी पढ़ें – मोदी सरकार की नई पेंशन स्कीम UPS: क्या वाकई फायदेमंद है या फिर एक और सरकारी जाल?

 न्यू पेंशन स्कीम (NPS): एक लचीली योजना

न्यू पेंशन स्कीम (NPS) को 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा पेश किया गया था। इसका उद्देश्य ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बदलकर एक नई और अधिक लचीली पेंशन योजना लाना था। NPS में कर्मचारी और सरकार दोनों का योगदान होता है, और पेंशन की राशि निवेश के प्रदर्शन पर निर्भर करती है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए अधिक उपयुक्त हो सकती है जो अधिक लचीलापन और निवेश आधारित रिटर्न चाहते हैं।

 NPS के प्रमुख प्रावधान

1. कर्मचारी और सरकार का योगदान: NPS में, कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते (DA) का 10% योगदान करता है, जबकि सरकार इसमें 14% का योगदान करती है। इस योजना में योगदान अनिवार्य होता है और इसे रिटायरमेंट तक नहीं निकाला जा सकता है।

2. पेंशन की गणना: NPS के तहत पेंशन की राशि कर्मचारियों द्वारा किए गए योगदान और मार्केट परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है। इसका मतलब है कि NPS में पेंशन की कोई निश्चित राशि नहीं होती, बल्कि यह पूरी तरह से निवेश के प्रदर्शन पर आधारित होती है। यह प्रावधान NPS को एक लचीली और संभावित रूप से अधिक लाभकारी योजना बनाता है, हालांकि इसमें जोखिम भी शामिल होता है।

3. निकासी: NPS के तहत, रिटायरमेंट के समय कर्मचारी अपने पेंशन फंड का 60% एकमुश्त राशि के रूप में निकाल सकते हैं। शेष 40% राशि का उपयोग उन्हें नियमित पेंशन प्राप्त करने के लिए एन्यूटी खरीदने में करना होता है। यह प्रावधान NPS को एक लचीली योजना बनाता है, जिससे कर्मचारी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पेंशन राशि का उपयोग कर सकते हैं।

4. टैक्स बेनिफिट्स: NPS के तहत निकाली गई 60% राशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन 40% राशि पर संबंधित कर्मचारी की टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। यह प्रावधान NPS को एक कर-अनुकूल योजना बनाता है, जिससे कर्मचारी अपनी पेंशन राशि का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं।

5. अकाउंट के प्रकार: NPS में दो प्रकार के अकाउंट होते हैं: टियर I और टियर II। टियर I अकाउंट अनिवार्य होता है और इसमें रिटायरमेंट के समय टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं। टियर II अकाउंट वैकल्पिक होता है और इसमें कर्मचारी अपने पेंशन की राशि किसी भी समय निकाल सकते हैं, हालांकि इससे कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता।

NPS के लाभ और सीमाएँ

NPS की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह योजना लचीली होती है और कर्मचारियों को अपने निवेश के प्रदर्शन के आधार पर पेंशन प्राप्त करने की अनुमति देती है। हालांकि, NPS में पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती, जिससे इसमें जोखिम भी शामिल होता है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए उपयुक्त हो सकती है जो निवेश में जोखिम लेने के लिए तैयार हैं और अधिक रिटर्न की उम्मीद रखते हैं। इसके अलावा, NPS में टैक्स बेनिफिट्स भी उपलब्ध होते हैं, जिससे कर्मचारी अपनी पेंशन राशि का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।

 ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS): एक स्थिर और विश्वसनीय योजना

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) वह योजना है, जो 2004 से पहले के सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू थी। इस योजना के तहत, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी के आधार पर मासिक पेंशन मिलती थी। OPS का सबसे बड़ा लाभ यह था कि इसमें कर्मचारी को पेंशन के लिए कोई योगदान नहीं करना पड़ता था, और पेंशन की पूरी लागत सरकार द्वारा वहन की जाती थी।

OPS के प्रमुख लाभ

1. फिक्स्ड पेंशन: OPS के तहत, रिटायरमेंट के समय की अंतिम सैलरी के 50% के बराबर पेंशन का प्रावधान था। यह पेंशन आजीवन मिलती थी, और इसमें कोई जोखिम नहीं था क्योंकि यह पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित थी। यह प्रावधान OPS को एक स्थिर और विश्वसनीय पेंशन योजना बनाता था।

2.महंगाई भत्ता: OPS के तहत पेंशन को महंगाई भत्ते (DA) के आधार पर समय-समय पर समायोजित किया जाता था। यह पेंशनधारकों को महंगाई के असर से सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान था। DA के अनुसार पेंशन में वृद्धि होती थी, जिससे रिटायरमेंट के बाद भी कर्मचारियों को जीवन यापन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता था।

3. कोई योगदान नहीं: OPS के तहत, कर्मचारियों को पेंशन के लिए किसी भी प्रकार का योगदान नहीं देना पड़ता था। पूरी पेंशन राशि सरकार द्वारा वहन की जाती थी। यह प्रावधान OPS को एक आकर्षक विकल्प बनाता था, क्योंकि इसमें कर्मचारियों को अपनी सैलरी से किसी प्रकार की कटौती नहीं करनी पड़ती थी।

4. टैक्स बेनिफिट्स: OPS के तहत मिलने वाली पेंशन पर कोई टैक्स नहीं लगता था। यह प्रावधान OPS को एक लाभकारी योजना बनाता था, क्योंकि इसमें कर्मचारियों को पूरी पेंशन राशि कर-मुक्त मिलती थी। इसके विपरीत, NPS और UPS में टैक्स का प्रावधान होता है, जिससे इन योजनाओं में प्राप्त पेंशन राशि पर कर लागू होता है।

5. पात्रता: OPS केवल उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती थी जो 1 जनवरी, 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए थे। इसके बाद सरकार ने NPS को लागू किया, जो कि नई भर्ती के लिए अनिवार्य हो गया। हालांकि, OPS को पुनः लागू करने की मांग लगातार बनी रही है, खासकर उन राज्यों में जहां कर्मचारियों ने इसे बहाल करने के लिए आंदोलन किया है।

 OPS की विशेषताएँ

OPS की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें कर्मचारियों को पेंशन के लिए किसी प्रकार का योगदान नहीं करना पड़ता था, और उन्हें उनकी अंतिम सैलरी के आधार पर पेंशन मिलती थी। यह योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित थी, जिससे इसमें कोई जोखिम नहीं था। इसके अलावा, महंगाई भत्ते के आधार पर पेंशन में वृद्धि भी एक महत्वपूर्ण प्रावधान था, जो पेंशनधारकों को महंगाई के असर से सुरक्षित रखता था। हालांकि, 2004 के बाद NPS के लागू होने के बाद, OPS केवल पुरानी भर्ती के कर्मचारियों तक सीमित रह गई।

 निष्कर्ष: कौन सी योजना है सबसे बेहतर?

UPS, NPS, और OPS तीनों योजनाओं के अपने-अपने लाभ और सीमाएँ हैं, और प्रत्येक योजना का चुनाव कर्मचारियों की व्यक्तिगत जरूरतों और वित्तीय योजनाओं पर निर्भर करता है। सरकार का कहना हैं कि UPS एक नई और उन्नत योजना है, जो NPS और OPS के सर्वोत्तम पहलुओं को मिलाकर बनाई गई है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए उपयुक्त हो सकती है जो स्थिर और सुनिश्चित पेंशन चाहते हैं और साथ ही निवेश के आधार पर अधिक लाभ की भी संभावना तलाशते हैं।

NPS, दूसरी ओर, एक लचीली योजना है जो निवेश के आधार पर पेंशन प्रदान करती है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए उपयुक्त हो सकती है जो निवेश में जोखिम लेने के लिए तैयार हैं और उच्च रिटर्न की उम्मीद रखते हैं। हालांकि, इसमें पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती, और यह पूरी तरह से निवेश के प्रदर्शन पर निर्भर करती है।

OPS एक पुरानी लेकिन विश्वसनीय योजना है, जो 2004 से पहले के कर्मचारियों के लिए लागू होती थी। इसमें पेंशन की राशि स्थिर और सुनिश्चित होती थी, और कर्मचारी को किसी प्रकार का योगदान नहीं करना पड़ता था। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए आदर्श थी जो बिना किसी जोखिम के स्थिर पेंशन चाहते थे।

अंततः, यह कहना मुश्किल है कि कौन सी योजना सबसे बेहतर है, क्योंकि यह पूरी तरह से कर्मचारियों की व्यक्तिगत परिस्थितियों और उनकी वित्तीय योजनाओं पर निर्भर करता है।

सरकार द्वारा UPS को लागू किए जाने के बाद, कर्मचारियों के पास अब एक नया विकल्प होगा, जो उन्हें अधिक वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करेगा। UPS के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, यह कहना उचित होगा कि यह योजना भविष्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बन सकती है। वहीं, NPS और OPS की अपनी विशेषताएँ और लाभ हैं, जो कर्मचारियों की व्यक्तिगत जरूरतों और वित्तीय योजनाओं के अनुसार उपयुक्त हो सकते हैं।आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि UPS को किस तरह से अपनाया जाता है और यह कर्मचारियों के लिए कितना लाभकारी साबित होता है। इस बीच, कर्मचारियों को अपनी पेंशन योजना का चयन करते समय अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों और वित्तीय स्थितियों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। इससे वे अपनी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को सुरक्षित और सुकून भरा बना सकते हैं।

वही UPS पेंशन स्कीम पर बात करते हुए कुछ विरोध करने वाले संगठन अभी भी यह कह रहे हैं कि सरकार जब UPS और NPS का ऑप्शन दे रही है तो OPS स्कीम  क्यों नहीं लागू कर सकती

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