Updated by Zulfam Tomar
पटना जंक्शन पर स्थित जीआरपी थाना एक बड़े विवाद में घिर गया है। इस थाने के थानेदार समेत छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ गंभीर आरोपों के बाद विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है। इस मामले में आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जबकि तीन ओडी (ऑफिसर ऑन ड्यूटी) अधिकारियों और एक सिपाही को निलंबित कर दिया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने पश्चिम बंगाल के एक यात्री से अवैध तरीके से पैसे वसूले, जो कि पूरी तरह से गैरकानूनी और अनुचित था।
घटना का पूरा विवरण
घटना की शुरुआत 1 अगस्त की रात से होती है, जब पश्चिम बंगाल के रहने वाले सोमनाथ नाईया पटना जंक्शन पर हावड़ा जाने के लिए ट्रेन पकड़ने पहुंचे थे। स्टेशन पर बैठे सोमनाथ को अचानक जीआरपी के जवानों ने चोर होने का आरोप लगाकर पकड़ लिया और थाने ले गए। थाने में, सिपाही कृष्ण कुमार ठाकुर ने उन्हें जेल भेजने की धमकी दी और बदले में 20,000 रुपये की मांग की। सोमनाथ, जो पहले ही पुलिस की हिरासत में थे, मजबूरी में यह रकम देने को तैयार हो गए।
हालांकि, यह वसूली यहीं नहीं रुकी। जीआरपी के जवानों ने उनसे और 30,000 रुपये की मांग की। इस पर सोमनाथ ने अपने पिता से संपर्क किया, जिन्होंने कोलकाता से एक स्थानीय व्यक्ति रवि के माध्यम से 19,000 रुपये ऑनलाइन भेजे। रुपये मिलने के बाद ही सोमनाथ को थाने से छोड़ा गया।
शिकायत और जांच
इस घटना के बाद सोमनाथ ने चार अगस्त को रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 पर इस घटना की शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए, वरीय पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) प्रभाकर तिवारी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल साक्ष्यों की जांच की गई, जिसमें पैसों की वसूली की पुष्टि हुई।
विभागीय कार्रवाई
जांच के परिणामस्वरूप, पटना जंक्शन जीआरपी थानेदार समेत कुल छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। जिन पुलिसकर्मियों पर आरोप साबित हुए, उनमें तीन ओडी अधिकारी, एक सिपाही और थानेदार शामिल हैं। इस कार्रवाई के तहत तीन पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर दिया गया, जबकि थानेदार का तबादला कर दिया गया है। डीआईजी रेल से थानेदार के निलंबन की भी सिफारिश की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहा है।
पुलिस विभाग की प्रतिक्रिया
इस मामले के उजागर होने के बाद, पुलिस विभाग ने इसे रेलवे की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य बताया है। रेलवे के अधिकारी और जीआरपी पुलिसकर्मियों का यह दायित्व होता है कि वे यात्रियों की सुरक्षा और सहूलियत का ध्यान रखें, न कि उनका उत्पीड़न करें। इस प्रकार के अवैध वसूली के मामलों से रेलवे की प्रतिष्ठा को गहरी चोट पहुंचती है, और इसके चलते यात्रियों के मन में पुलिस के प्रति अविश्वास पैदा होता है।
आगे की कार्रवाई
इस मामले में अभी भी विभागीय जांच जारी है। पुलिस विभाग ने संकेत दिए हैं कि जांच के नतीजों के आधार पर और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा, अन्य संदिग्ध पुलिसकर्मियों पर भी नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को समय रहते रोका जा सके।
इस घटना के बाद से ही पटना जंक्शन पर जीआरपी पुलिसकर्मियों के रवैये को लेकर यात्रियों में गहरा असंतोष है। यात्रियों का कहना है कि जीआरपी पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है, लेकिन वे ही अगर यात्रियों का उत्पीड़न करने लगें, तो यह अत्यंत चिंताजनक स्थिति है।
पुलिस की साख पर सवाल
इस घटना ने न केवल जीआरपी थानेदार और पुलिसकर्मियों की साख पर सवाल खड़ा किया है, बल्कि पूरे विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। इस प्रकार के वसूली के मामले यह दर्शाते हैं कि किस प्रकार से कानून के रखवाले ही कानून को ताक पर रखकर अपनी मर्जी चला रहे हैं।
इस मामले में जीआरपी थानेदार की भूमिका पर खासा विवाद है। थानेदार का तबादला तो कर दिया गया है, लेकिन उनके निलंबन की भी सिफारिश की गई है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस मामले में थानेदार की भूमिका भी संदिग्ध है और उन पर भी गाज गिर सकती है।
भविष्य की चुनौतियाँ
इस प्रकार की घटनाएँ पुलिस विभाग के सामने कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पुलिसकर्मियों में अनुशासन और नैतिकता को कैसे कायम रखा जाए। वसूली के मामले इस बात का प्रमाण हैं कि कुछ पुलिसकर्मी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं, और यह प्रवृत्ति विभाग की साख को बुरी तरह से प्रभावित करती है।
विभागीय कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके लिए उच्च स्तर पर निगरानी और नियंत्रण तंत्र को मजबूत करना अनिवार्य है।
पटना जंक्शन पर घटी इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि कानून के रखवालों की जिम्मेदारी केवल कानून का पालन करवाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें अपनी नैतिक जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखना होगा। यात्रियों की सुरक्षा और सहूलियत के प्रति पुलिस की जवाबदेही निश्चित होनी चाहिए, और इस प्रकार के वसूली के मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए।
निचोड़
यह घटना न केवल एक यात्री के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सबक है। यह बताती है कि किस प्रकार से सत्ता का दुरुपयोग हो सकता है और आम आदमी को किस प्रकार से पुलिस की प्रताड़ना का सामना करना पड़ सकता है। जीआरपी थानेदार और पुलिसकर्मियों पर की गई कार्रवाई इस बात का प्रमाण है कि कानून का पालन हर किसी के लिए जरूरी है, चाहे वह किसी भी पद पर हो।
इस प्रकार के मामलों में कड़ी कार्रवाई यह संदेश देती है कि कानून और न्याय व्यवस्था का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और दोषियों को उनके अपराध का उचित दंड मिलेगा। पटना जीआरपी की इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि कानून के रखवाले भी कानून के दायरे में हैं, और किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अगर आपके साथ भी कोई इस तरह की घटना घाटी है या भविष्य में घाटे तो बिल्कुल भी डरे नहीं इसकी शिकायत उसके वरिष्ठअधिकारी से करे और अगर आप प्रशासन आपकी आवाज नहीं सुन रहा है तो अपनी आवाज प्रशासन तक उठाने के लिए हमें ईमेल करें ।