जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई को चुनाव लड़ाने की तैयारी – क्या है पूरी कहानी?

Zulfam Tomar
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परिचय:

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। महाराष्ट्र में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में एक ऐसा नाम चर्चा में है, जो पहले कभी राजनीतिक मैदान में नहीं देखा गया। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, जो इस समय गुजरात की साबरमती सेंट्रल जेल में बंद हैं, को उत्तर भारतीय विकास सेना (UBVS) द्वारा चुनावी उम्मीदवार बनाने की तैयारी की जा रही है। यह खबर उस समय आई है जब बिश्नोई का नाम बाबा सिद्दिकी के मर्डर और बॉलीवुड एक्टर सलमान खान को धमकी देने के मामलों में सामने आया है। आइए इस पूरे मामले की गहराई में जाते हैं और जानते हैं कि इस कदम के पीछे की मंशा और इसके राजनीतिक मायने क्या हैं?

लॉरेंस बिश्नोई का संदर्भ

लॉरेंस बिश्नोई एक प्रमुख गैंगस्टर हैं, जिनका नाम कई हाई-प्रोफाइल अपराधों में लिया जाता है। उनका प्रभाव उत्तर भारत के कई हिस्सों में है, और उनके समर्थकों की एक बड़ी संख्या है। बिश्नोई का आपराधिक रिकॉर्ड एक ऐसा विषय है, जो भारतीय राजनीति में उनकी संभावित एंट्री को और भी दिलचस्प बना देता है।

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लॉरेंस बिश्नोई का नामांकन – एक नया मोड़

UBVS के प्रमुख  नेता सुनील शुक्ला ने बांद्रा पश्चिम विधानसभा सीट से लॉरेंस बिश्नोई की तरफ से नामांकन भरने की योजना बनाई है। इसके लिए उन्होंने रिटर्निंग अफसर को AB फॉर्म के लिए लेटर भी भेजा है। जिसकी जानकारी उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल से दी  ये फॉर्म चुनावी नामांकन के लिए जरूरी है। सुनील शुक्ला का मानना है कि लॉरेंस बिश्नोई का राजनीति में आना एक बदलाव ला सकता है।

लॉरेंस बिश्नोई ,नॉमिनेशन ,महाराष्ट्र चुनाव में उम्मीदवार

सुनील शुक्ला का लेटर और चुनावी प्रोसेस

सुनील शुक्ला ने रिटर्निंग अफसर को एक लेटर लिखा है, जिसमें उन्होंने नामांकन प्रक्रिया का जिक्र किया है। उनका दावा है कि वे बिश्नोई के सिग्नेचर फॉर्म पर लेकर उसे चुनाव में मान्यता दिलवा सकते हैं। इसके लिए वे एक हलफनामा तैयार करेंगे।

UBVS का बयान और बिश्नोई की ‘क्रांतिकारी’ छवि

UBVS के प्रमुख सुनील शुक्ला लॉरेंस बिश्नोई को पत्र लिखकर चर्चा में आए , बोले- आपका उद्देश्य UBVS के मूल्यों से मेल खाता है , लेटर में बिश्नोई की तुलना शहीद भगत सिंह से की है। शुक्ला का कहना है कि बिश्नोई का चुनावी राजनीति में आना जरूरी बदलाव ला सकता है और वे ‘क्रांतिकारी’ हैं। उत्तर भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली इस पार्टी का दावा है कि बिश्नोई में वे एक नायक देखते हैं।

लॉरेंस बिश्नोई महाराष्ट्र चुनाव में उम्मीदवार UBVS

UBVS उत्तर भारतीय विकास सेना पार्टी का उदय

उत्तर भारतीय विकास सेना (UBVS) एक नया राजनीतिक दल है, जो उत्तर भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्यरत है। इसकी स्थापना सुनील शुक्ला ने की थी, जिन्होंने बिश्नोई को चुनावी राजनीति में लाने का प्रस्ताव रखा है। इस पार्टी का उद्देश्य उत्तर भारतीय समुदाय के मुद्दों को उठाना और उन्हें राजनीतिक मंच पर लाना है। शुक्ला का मानना है कि बिश्नोई की राजनीतिक एंट्री एक नया बदलाव ला सकती है।

उत्तर भारतीय अधिकारों की मांग

सुनील शुक्ला ने पत्र में उत्तर भारतीयों के अधिकारों की मांग का भी जिक्र किया है। उनका कहना है कि देश के उत्तर भारतीय समुदायों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पार्टी ने उत्तर भारतीयों के लिए आरक्षण की मांग भी की है। उनका कहना है कि यह अन्याय है कि उत्तर भारतीयों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है।

UBVS का चुनावी प्लान

UBVS के नेता सुनील शुक्ला ने रिटर्निंग अधिकारी से बिश्नोई के नामांकन के लिए फॉर्म की मांग की है। शुक्ला ने एक पत्र में यह स्पष्ट किया है कि वे बिश्नोई के लिए आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करने का कार्य करेंगे, जिसमें सिग्नेचर और हलफनामा शामिल हैं। यदि बिश्नोई को चुनावी मंजूरी मिलती है, तो UBVS जल्द ही अपने 50 उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी।

चुनावी रणनीति और मीडिया

UBVS की यह रणनीति न केवल उत्तर भारतीयों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, बल्कि यह मीडिया का ध्यान भी आकर्षित कर रही है। बिश्नोई का नाम समाचारों में होने से उनकी पार्टी को प्रचार में मदद मिल सकती है।

पत्र का विवरण

शुक्ला के पत्र में उन्होंने बिश्नोई को ‘क्रांतिकारी’ बताते हुए उनकी तारीफ की है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी बिश्नोई के चुनावी अभियान का समर्थन करने के लिए तैयार है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर बिश्नोई चुनाव लड़ते हैं, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि उत्तर भारतीय समुदाय के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।

राजनीति में गैंगस्टर का प्रवेश

गैंगस्टर का राजनीति में प्रवेश एक विवादास्पद विषय है। इससे पहले, भारत में कई गैंगस्टर्स ने राजनीतिक मैदान में कदम रखा है, लेकिन बिश्नोई की स्थिति अलग है। उनका आपराधिक रिकॉर्ड और जेल में बंद होने की स्थिति उनके चुनावी अभियान को प्रभावित कर सकती है। इस कदम से यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों का स्वागत किया जाना चाहिए?

क्या वाकई बिश्नोई चुनाव लड़ेंगे ?

अगर लॉरेंस बिश्नोई चुनावी मैदान में आते हैं, तो यह देखना होगा कि उनकी भूमिका क्या होगी। क्या वे अपने आपराधिक नेटवर्क का उपयोग राजनीतिक समर्थन जुटाने के लिए करेंगे? या वे वास्तविक बदलाव लाने की कोशिश करेंगे? यह निश्चित रूप से एक दिलचस्प सवाल है और यह समय के साथ स्पष्ट होगा।

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