यूट्यूबर फेलिक्स जेराल्ड ने हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट में तमिलनाडु पुलिस के खिलाफ एक बड़ी याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा गया, उनके परिवार को उनकी स्थिति के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई, और भारतीय दंड संहिता के नियमों का भी पालन नहीं किया गया।
याचिका में, जेराल्ड ने एक करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है और उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की बात कही है। उनका यह मामला अब मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है, और यह सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या पुलिस के पास इतना अधिकार है कि वो बिना जानकारी के किसी को भी हिरासत में ले सकती है?
यूट्यूब फेलिक्स जेराल्ड तमिलनाडु पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने का कारण
जेराल्ड ने अपने यूट्यूब चैनल, “RedPix 24×7,” पर एक इंटरव्यू प्रसारित किया, जिसमें एक अन्य यूट्यूबर सवुक्कू शंकर ने मद्रास हाई कोर्ट और तमिलनाडु पुलिस के बारे में टिप्पणियाँ की थीं। आरोप है कि इन टिप्पणियों में आपत्तिजनक बातें थीं, जो पुलिस और अदालत के खिलाफ थीं।
इस इंटरव्यू के बाद, तमिलनाडु पुलिस ने 4 मई को सवुक्कू शंकर को गिरफ्तार किया। इसके बाद, 10 मई को, दिल्ली में मौजूद जेराल्ड को रात के समय अज्ञात लोगों ने जबरन उठा लिया। बाद में पता चला कि यह तमिलनाडु पुलिस के अधिकारी थे। जेराल्ड को गिरफ्तारी के कारण और एफआईआर की जानकारी दिए बिना हिरासत में ले लिया गया।
फेलिक्स जेराल्ड की याचिका और उनके आरोप
जेराल्ड की याचिका में कहा गया है कि उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ। उनका कहना है कि पुलिस ने न सिर्फ उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा, बल्कि उनके परिवार को भी कोई जानकारी नहीं दी।
उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में तमिलनाडु पुलिस के खिलाफ एक करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। उनका दावा है कि इस तरह का व्यवहार पुलिस द्वारा अनैतिक और अवैध है।
कोर्ट की सुनवाई और आगे का मामला
हाई कोर्ट में जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने जेराल्ड को अपने दावे के समर्थन में अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय दिया है। कोर्ट ने जेराल्ड की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है, और अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट के आदेश
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को स्थगित किया है, जिसमें जेराल्ड के यूट्यूब चैनल को बंद करने का निर्देश दिया गया था। जेराल्ड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उन्हें थोड़ी राहत मिली है, लेकिन वो इंसाफ की पूरी उम्मीद दिल्ली हाई कोर्ट से ही रखते हैं।
इस केस की सुनवाई अब 16 दिसंबर को होने वाली है, और देखना यह है कि कोर्ट का फैसला क्या आता है।
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