हाल ही में, भारतीय बार काउंसिल (BCI) ने दिल्ली से 107 फर्जी वकीलों को लिस्ट से बाहर किया। यह कदम एक संकेत है कि BCI फर्जी एडवोकेट्स के खिलाफ सख्ती से पेश आ रही है। दरअसल, बीते कुछ सालों में कई लोग फर्जी दस्तावेज़ों और डिग्रियों के जरिए वकालत में एंट्री कर गए थे।
BCI का मानना है कि फर्जी वकील कानून और न्याय प्रणाली के लिए खतरा हैं क्योंकि ये न केवल लोगों को धोखा देते हैं बल्कि न्याय व्यवस्था को भी कमजोर करते हैं। फर्जी वकीलों के कारण असली वकीलों का भी नाम खराब होता है, जिससे जनता का भरोसा भी कम हो सकता है। क्या आप भी बनना चाहते हैं एडवोकेट? जानें असली वकील बनने की योग्यता!
फर्जी वकील कौन होते हैं?
फर्जी वकील वे लोग हैं जो कानून की पढ़ाई पूरी किए बिना या नकली डिग्रियों के आधार पर वकालत का पेशा अपनाते हैं। इनमें से कुछ लोग बिना बार परीक्षा (AIBE) पास किए, या गलत तरीके से नामांकन करवाकर प्रैक्टिस करते हैं। ऐसे लोगों का मकसद सिर्फ पैसे कमाना होता है और वो लोगों को धोखा देकर उनकी समस्याओं का गलत फायदा उठाते हैं।
BCI ने फर्जी वकीलों पर कार्रवाई कैसे की?
BCI ने 2015 में सर्टिफिकेट और प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) नियम लागू किया था। इस नियम के तहत BCI ने सभी एडवोकेट्स की योग्यता और दस्तावेज़ों की जांच शुरू की। अब नए रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ पुराने रजिस्टर्ड वकीलों की भी हर पांच साल में जांच होती है ताकि फर्जी एडवोकेट्स को बाहर किया जा सके। इसके अलावा, BCI ने यह तय किया है कि जिनकी डिग्रियों में गड़बड़ी पाई जाती है या जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है, उन्हें भी वकालत की लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा।
एडवोकेट बनने का क्राइटेरिया क्या है?
भारत में एडवोकेट बनने के लिए कुछ बुनियादी शर्तें और क्राइटेरिया होते हैं। ये निम्नलिखित हैं:
- शिक्षा:
- 12वीं के बाद 5 साल के इंटीग्रेटेड LLB प्रोग्राम में दाखिला ले सकते हैं।
- या फिर, ग्रेजुएशन के बाद 3 साल के LLB कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है।
भारत में LLB की फीस अलग-अलग कॉलेजों में अलग होती है। कुछ सरकारी संस्थानों में फीस कम होती है, जबकि निजी संस्थानों में यह ज्यादा हो सकती है।
- बार परीक्षा (AIBE):
- LLB की पढ़ाई पूरी करने के बाद, BCI द्वारा आयोजित अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) पास करना जरूरी है।
- AIBE पास करने के बाद ही उम्मीदवार को वकालत करने का अधिकार मिलता है।
- राज्य बार काउंसिल में नामांकन:
- AIBE पास करने के बाद, उम्मीदवार को अपने राज्य की बार काउंसिल में नामांकन लेना होता है। इसके लिए काउंसिल उम्मीदवार की पृष्ठभूमि, शैक्षणिक दस्तावेज़ों और पहचान पत्र की जांच करती है।
- नामांकन पूरा होने के बाद उम्मीदवार को एक एनरोलमेंट नंबर मिलता है, जिससे वह अपने राज्य में प्रैक्टिस शुरू कर सकता है।
- प्रैक्टिस वेरिफिकेशन:
- नए रजिस्टर्ड एडवोकेट्स को BCI के नियमों के अनुसार हर पांच साल में अपनी प्रैक्टिस करने की जगह का वेरिफिकेशन करवाना होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि जो लोग वकालत कर रहे हैं वे सभी नियमों का पालन कर रहे हैं।
लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर है?
भारत में, लॉयर और एडवोकेट का मतलब एक नहीं होता। हालाँकि, बहुत से लोग इस बात से अनजान होते हैं:
- लॉयर: कोई भी व्यक्ति जिसने कानून की पढ़ाई (LLB) पूरी की हो, उसे लॉयर कहा जा सकता है। लेकिन सिर्फ LLB की डिग्री होना कोर्ट में केस लड़ने के लिए काफी नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति को कोर्ट में जिरह करने का अधिकार नहीं होता।
- एडवोकेट: एक वकील जिसने LLB के बाद AIBE पास किया हो और किसी राज्य बार काउंसिल में रजिस्टर्ड हो, उसे एडवोकेट कहा जाता है। एडवोकेट को कोर्ट में केस लड़ने का अधिकार होता है।
BCI और राज्य बार काउंसिल की भूमिका क्या है?
बीसीआई, जिसे भारतीय बार काउंसिल के नाम से जाना जाता है, भारत में वकीलों की सर्वोच्च संस्था है। इसका मुख्य काम योग्य वकीलों को कानूनी पेशे में अनुमति देना और फर्जी एडवोकेट्स को बाहर निकालना है। बीसीआई के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- परीक्षा और नामांकन की प्रक्रिया की निगरानी: BCI की जिम्मेदारी है कि वकालत में आने वाले सभी उम्मीदवार योग्य हों। इसके लिए BCI अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) आयोजित करती है। परीक्षा पास करने के बाद ही किसी व्यक्ति को एडवोकेट का दर्जा मिलता है।
- प्रैक्टिस वेरिफिकेशन: BCI यह सुनिश्चित करती है कि जो लोग वकालत कर रहे हैं, वे सच्चे और योग्य वकील हों। इसके लिए हर पांच साल में प्रैक्टिस वेरिफिकेशन किया जाता है।
- फर्जी वकीलों पर कार्रवाई: BCI का काम केवल नए वकीलों का नामांकन नहीं है, बल्कि वो लोग जो फर्जी डिग्री या गलत दस्तावेज़ों के जरिए वकालत कर रहे हैं, उन्हें भी लिस्ट से बाहर करना है।
फर्जी वकीलों का समाज पर प्रभाव
फर्जी वकील समाज के लिए कई तरह के खतरे पैदा करते हैं।
- लोगों को धोखा देना: ये फर्जी वकील अक्सर ऐसे लोगों को निशाना बनाते हैं, जिन्हें कानूनी ज्ञान कम होता है। वे उनकी समस्याओं का गलत फायदा उठाकर पैसे ऐंठते हैं।
- न्याय प्रणाली को कमजोर करना: फर्जी वकील कोर्ट में मौजूद वास्तविक वकीलों के नाम को खराब करते हैं। उनका अनुभव और ज्ञान कानून के मानकों के मुताबिक नहीं होता, जिससे गलत फैसले भी हो सकते हैं।
- विश्वास की कमी: जनता में कानून और न्याय व्यवस्था के प्रति भरोसे की कमी हो जाती है।
फर्जी वकीलों को हटाने के लिए BCI के नियम
BCI ने 2015 में एक सख्त नियम बनाया – सर्टिफिकेट और प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) नियम। इस नियम के अंतर्गत हर वकील को अपनी प्रैक्टिस का प्रमाण देना होता है। अगर कोई वकील अपनी पहचान सही साबित नहीं कर पाता है, तो उसे लिस्ट से हटा दिया जाता है। इसके लिए राज्य बार काउंसिल्स भी जिम्मेदार होती हैं, जो हर वकील के दस्तावेज़ों और प्रमाण पत्रों की जांच करती हैं।
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